अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक,29,अर्चना चौधरी, इटावा
*👩🏻🏫अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
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*👩👩👧👧महिला सशक्तिकरण- 29*
(दिनाँक- 04 अप्रैल 2019)
*नाम- अर्चना चौधरी*
पद -सहायक अध्यापक ब्लॉक व्यायाम शिक्षक बसरेहर विकासखंड -बसरेहर
जिला - इटावा उत्तर प्रदेश
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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👉🏻 प्रथम नियुक्ति 06/ 01/ 2006 सहायक अध्यापक के पद पर प्राथमिक विद्यालय अकबर पुर विकासखंड बसरेहर
👉🏻 2008 में प्राथमिक विद्यालय कृपालपुर बसरेहर में ब्लॉक व्यायाम शिक्षिका के रूप में नियुक्ति
👉🏻वर्तमान नियुक्ति, 22/02/ 2010 सहायक अध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय कृपालपुर बसरेहर
👉🏻 2008 में जब मैंने ब्लॉक बयान शिक्षिका का पद ग्रहण किया उस वक्त मेरी नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय कृपालपुर में की गई एक ही प्रांगण में दो स्कूल थे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय कृपालपुर। ब्लॉक व्यायाम शिक्षिका के रूप में मुझे पूरे ब्लॉक में 10 दिन भ्रमण के लिए वह 20 दिन अपने विद्यालय के लिए मिलते थे। जब मैंने ज्वाइन किया तो सबसे पहली मेरी समस्या आई छात्राओं की संख्या छात्रों की अपेक्षा कम थी मैंने वहां पर पूर्व में कार्यरत शिक्षिकाओं से पूछा कि क्या वजह है यहां पर बालिकाएं पढ़ाई पर शिक्षा पर क्यों ध्यान नहीं देती क्यों विद्यालय नहीं आती है मुझे पता चला कि वह गांव बंजारा समुदाय का है जिसमें यह धारणा होती है कि बालिकाओं को पढ़ना लिखना नहीं है और छात्र भी कक्षा 8 के बाद अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी नहीं रख सकते थे क्योंकि उनको व्यवसाय हेतु अपने पिता के साथ दूसरे शहरों में घूमना पड़ता है
◆ मैंने और मेरे साथ स्कूल की प्राथमिक स्तर एवं उच्च प्राथमिक स्तर की कुछ शिक्षिकाओं को साथ में लिया और ग्राम वासियों के साथ बैठक करनी प्रारंभ कि पहले तो वह ग्रामवासी सीधे मुंह बात नहीं किया करते थे और यही कहा करते थे कि मैडम जी हमें पढ़ाई लिखाई नहीं करानी अपने बच्चों को वैसे भी धंधा कराना है और लड़कियां घर में ही अच्छी लगती हैं उन्हें घर के कामकाज ही सीखने दो पढ़ाई लिखाई ना सीखने दो जब इस तरीके की बातें मैंने सुनी तो मुझे बहुत आघात पहुंचा कि आज के युग में भी इस तरीके की सोच अच्छी नहीं है और वहीं से मैंने उद्देश्य बना लिया कि मुझे अब इस विद्यालय में छात्राओं की संख्या बढ़ानी है और छात्रों को भी आगे निकालना है
◆ अपने उद्देश्य के साथ प्रतिदिन विद्यालय में जाने के बाद ग्राम वासियों के साथ बैठक लगा कर उनको प्रेरित करना शुरू किया
उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया कई दिनों तक यह चलता रहा कई जगह पर तिरस्कार भी हुआ की मैडम जी अपने सारे काम छोड़ कर आप भी गांव में ही रहने लगे और हमारी समस्याओं को देखो तो आप पढ़ाई लिखाई की बात हमसे नहीं करोगी और हमारे घर में 1 दिन रह कर देख लो कि हम एक वक्त का खाना भी अगर धंधा करने ना जाए व्यवसाय ना करें तो हमें नहीं मिलेगा उसके बाद इस तरीके की जली कटी बातें सुनने के बाद मैंने यही उनको समझाया कि अगर आप अपने बच्चों को उचित शिक्षा देंगे तो आपके बच्चे आपके लिए अच्छी व्यवस्था अच्छी जिंदगी बेहतर जिंदगी खुशहाल जिंदगी आपको दे सकते हैं आप सोचिए अगर आपका बच्चा पढ़ ले कर अधिकारी बनता है तो आपको धंधा करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी आपकी कई पीढ़ियां शिक्षित होने लगेंगे बहुत संघर्ष किया उनको इस बात को समझाने के लिए और छात्राओं की शिक्षा को बढ़ाने के लिए मैंने कहा कि उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं प्राथमिक विद्यालय में सभी शिक्षिकाएं बहने हैं कोई भी शिक्षक नहीं है हम सब भी तो लड़कियां हैं हम सब भी तो महिलाएं हैं आप भेज कर देखिए आपको किसी तरीके का कोई भी डरने की आवश्यकता नहीं है मैंने इस तरीके की बातें करके उनके मन को अंतता जीत ही लिया उसके बाद दिन प्रतिदिन छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ती गई उसमें से कुछ छात्र जिनका पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लगता था वह आते थे और बैठे रहते थे तथा कुछ छात्र छात्राएं सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए मैंने तैयार किया उनको कुछ छात्र छात्राओं को नृत्य और एवं संगीत का का बेहद शौक था उनकी नृत्य एवं संगीत की प्रतियोगिताएं आपस में करवाई और वह और इस प्रकार स्कूल में उनका ठहरा होने लगा मैंने उनसे कहा आपको पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है आओ हम लोग स्कूल में खेल खेलते हैं और नृत्य और संगीत करते हैं मैंने एक हफ्ते तक उनको किसी भी विषय के बारे में नहीं बताया सिर्फ खेल और नृत्य संगीत आदि की बातें की जिसमें की कबड्डी खो-खो और एथलेटिक था
◆विद्यालय में जगह-जगह पेड़ पौधे क्यारियां भी लगवानी शुरू की जिससे कि विद्यालय हरा भरा रहे और उन पौधों से बच्चों को बात करना भी शुरुआत करवाई ताकि वह उनसे जुड़ जाए विद्यालय के प्रति उनके अंदर एक लगाव उत्पन्न हो जाए और वही हुआ
◆आपस में ही उन बच्चों का कबड्डी कराना प्रारंभ कर दिया बच्चों को कबड्डी खेल में काफी रुचि आने लगी उसके बाद वह बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आने के बाद उनका मानसिक विकास भी होने लगा शारीरिक विकास के साथ उन्होंने अपने दिमाग में भी एक नई ऊर्जा को भर लिया कि वह पढ़ाई भी करने वाले फिर कुछ दिनों बाद मैंने देखा वह बच्चे मिट्टी के खिलौने भी बहुत अच्छे बनाते हैं मैंने हस्तशिल्प कला मेला बच्चों के द्वारा विद्यालय में आयोजित किया जिसमें बच्चों ने विभिन्न प्रकार की सामग्रियां मिट्टी के द्वारा बनाई उनकी एक नई कला भी सामने आएगी बच्चों को विद्यालय में बहुत अच्छा लगने लगा उनकी रुचि देखकर मुझे सफलता मिली और मुझे काम करने में और भी प्रेरणा जागी तत्पश्चात हमारे विद्यालय स्तर के मैंने खेल कराने शुरू किए आपस में ही प्रतियोगिताएं रखें जिसमें कुछ बच्चे *प्राथमिक स्तर एवं उच्च प्राथमिक स्तर के निकल कर के आए वह बच्चे हमारे जिला स्तर पर भी प्रथम स्थान पाया तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम में मंडल स्तर पर हमारे विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने प्रथम स्थान भी प्राप्त किया उसके बाद पांच छह बच्चे में हमारे कोई राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी भी बना कोई जिला स्तर का खिलाड़ी भी बना और रुचि पूर्ण बात यह है कि उसमें से 3 बालिकाएं थी जिन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने खेल को भी लगातार बनाए रखा और 6 बच्चे हमारे नेशनल खिलाड़ी बने वही छात्र जो कभी पढ़ा नहीं करते थे वही छात्राएं जो कभी विद्यालय नहीं आया करती थी आप सबको बता करके हर्ष होगा कि उन बच्चों ने कक्षा 8 पास करने के बाद आज स्नातक और कुछ बच्चे नौकरी मैं भी आ चुके हैं हमारा एक खिलाड़ी एशिया के खेलों के लिए नियुक्त हो गया था परंतु किसी कारणवश वह आगे नहीं जा पाया एशिया के खेलों में नियुक्त होना और वह भी वेटलिफ्टिंग मे, मेरे लिए सौभाग्य था यह यह परंपरा उस विद्यालय से लेकर के पूरे गांव में चल पड़ी है कि अब हर बच्चा स्नातक तक तो पड़ता ही है और उसके अलावा नौकरियों के लिए प्रयास करते हैं और आज की तारीख में उच्च प्राथमिक विद्यालय कृपालपुर में छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की संख्या अधिक हो चुकी है। साथ ही ब्लॉक व्यायाम शिक्षिका के रूप में कई बार जनपद में बच्चों को चैंपियन बना पाना मेरे लिए गर्व का विषय रहा।* यहां मेरा प्रयास सार्थक हुआ जिसकी खुशी मुझे हमेशा होती है तो यह थी मेरी संघर्ष भरी कहानी ।
_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*
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