पृथ्वी बचाओ
पृथ्वी ही जीवन, पृथ्वी ही पालनहार,
पृथ्वी को बचाना हमारा अधिकार।
पृथ्वी दिवस तो मनाना है,
गम्भीरता भी समझाना है।
पृथ्वी पड़ी है खतरे में,
जीवन भी आया खतरे में।
पृथ्वी का विनाश दिखने लगा है,
चारों ओर प्रदूषण फैला हुआ है।
प्रकृति भी निष्ठुर बन गई,
कहीं बाढ़, कहीं सुनामी आई।
प्रकृति के पदार्थों का अंधाधुंध प्रयोग,
खनिज पदार्थों का हो रहा दुरुपयोग।
मानव जीवन बदहाल हुआ है,
पर्यावरण संतुलन बिगड़ा हुआ है।
जंगल खत्म होने लगे हैं,
जीव विलुप्त होने लगे हैं।
पृथ्वी पर मत बढ़ाओ आबादी,
वरना हो जाएगी बर्बादी।
धरती को बचाना होगा,
संसाधनों का दोहन रोकना होगा।
संयम का रास्ता अपनाना होगा,
धरती माँ को संवारना होगा।
पृथ्वी बचाओ, मुहिम चलाओ,
अपना-अपना धर्म निभाओ।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
पृथ्वी को बचाना हमारा अधिकार।
पृथ्वी दिवस तो मनाना है,
गम्भीरता भी समझाना है।
पृथ्वी पड़ी है खतरे में,
जीवन भी आया खतरे में।
पृथ्वी का विनाश दिखने लगा है,
चारों ओर प्रदूषण फैला हुआ है।
प्रकृति भी निष्ठुर बन गई,
कहीं बाढ़, कहीं सुनामी आई।
प्रकृति के पदार्थों का अंधाधुंध प्रयोग,
खनिज पदार्थों का हो रहा दुरुपयोग।
मानव जीवन बदहाल हुआ है,
पर्यावरण संतुलन बिगड़ा हुआ है।
जंगल खत्म होने लगे हैं,
जीव विलुप्त होने लगे हैं।
पृथ्वी पर मत बढ़ाओ आबादी,
वरना हो जाएगी बर्बादी।
धरती को बचाना होगा,
संसाधनों का दोहन रोकना होगा।
संयम का रास्ता अपनाना होगा,
धरती माँ को संवारना होगा।
पृथ्वी बचाओ, मुहिम चलाओ,
अपना-अपना धर्म निभाओ।
रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।
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