पृथ्वी दिवस

'पृथ्वी दिवस' मनाने को  22अप्रैल है आता।
पर 'धरती माता' के क्रन्दन को सुन कोई न पाता।।

फैल रहा हर ओर प्रदूषण लुप्त हुई हरियाली,
पशु-पक्षी सब बेघर हैं गुम कानन छटा निराली।

जल, वायु, आकाश, धरा और प्रकृति मतवाली,
मानव ने स्वतृप्ति हेतु सबकी बलि दे डाली।

अब तो जागो! अब तो चेतो! छोड़ो सब मनमानी,
आने वाले कल की स्वयं न दो कुर्बानी।

वृक्षारोपण, जल संरक्षण से सब जोड़ो नाता,
पैदल चलो-पेट्रोल बचाओ, जीवन जी लो सादा।

इस 'जननी' का कर्ज है हम पर उसे चुकाना होगा,
भोग चुके हैं बहुत मगर अब फर्ज निभाना होगा।

पशु-पक्षियों के हित मे जंगल को बचाना होगा,
स्वच्छ और हरियाला 'माँ' का आँचल लहराना होगा।

एक-एक हम सबको वृक्ष लगाना होगा,
सही मायने में 'पृथ्वी दिवस' मनाना होगा।। 
             
रचयिता
पुष्पा पटेल,
प्रधानध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय संग्रामपुर,
विकास क्षेत्र-चित्रकूट,
जनपद-चित्रकूट।

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