उफ! नारी जीवन
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन
शापित, कुंठित, तिरस्कृत जीवन
पथ पर काँटे, तम घोर सघन
लहूलुहान नित तेरा तन मन,
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
बचपन पित्र अनुशासन आश्रित
यौवन हाथों पति के शासित
नहीं स्वतंत्र बुढ़ापे में भी
कर्तव्यों मे जीवन अर्पण,
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
बन प्रेम मेघ, मधुरस सी बरसती
आँचल की छाँव में पीड़ा हरती
तु जननी, जनमानस की तरणी
फिर क्यों होता नित तेरा शोषण?
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
अस्तित्व हीन तुम क्यों बन बैठीं?
निज पहचान को क्यों खो बैठीं?
विस्मृत कर स्वगौरव महान,
अंधकार की सहचर हरक्षण
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन
कब तक यूँ अन्याय सहोगी?
कब उठ कर हक की बात करोगी?
समय आ गया नवस्फूर्ति का
बढ़कर नभ मुट्ठी में भर लो
बन शक्ति प्रतीक कर जग को पावन
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन....।
रचयिता
पुष्पा पटेल,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय संग्रामपुर,
विकास क्षेत्र-चित्रकूट,
जनपद-चित्रकूट।
शापित, कुंठित, तिरस्कृत जीवन
पथ पर काँटे, तम घोर सघन
लहूलुहान नित तेरा तन मन,
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
बचपन पित्र अनुशासन आश्रित
यौवन हाथों पति के शासित
नहीं स्वतंत्र बुढ़ापे में भी
कर्तव्यों मे जीवन अर्पण,
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
बन प्रेम मेघ, मधुरस सी बरसती
आँचल की छाँव में पीड़ा हरती
तु जननी, जनमानस की तरणी
फिर क्यों होता नित तेरा शोषण?
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन।
अस्तित्व हीन तुम क्यों बन बैठीं?
निज पहचान को क्यों खो बैठीं?
विस्मृत कर स्वगौरव महान,
अंधकार की सहचर हरक्षण
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन
कब तक यूँ अन्याय सहोगी?
कब उठ कर हक की बात करोगी?
समय आ गया नवस्फूर्ति का
बढ़कर नभ मुट्ठी में भर लो
बन शक्ति प्रतीक कर जग को पावन
उफ! नारी जीवन तेरा जीवन....।
रचयिता
पुष्पा पटेल,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय संग्रामपुर,
विकास क्षेत्र-चित्रकूट,
जनपद-चित्रकूट।
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