पंच परमेश्वर-गीत रूप
एक कहानी सबको सुनाऊँ
न्याय की में महिमा गाऊँ
गाँव में रहते दो दोस्त
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
साझे में उनकी खेती होती
लेन-देन भी साझा था
जब घर छोड़कर दोनों जाते
जिम्मेदारी का वादा था
यूँ ही दे रहे थे प्रेम का संदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
जुम्मन के अब्बा जुमराती ने
दोनों को पाठ पढ़ाया था
सत्य, न्याय और धर्म का
उन्हें संदेश सुनाया था।
नियत बदल गयी आगे जुम्मन की
धन का आया मन में लोभ
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
जुम्मन की एक बूढ़ी खाला
धन के लोभ में आये
जमीन की लालच में जुम्मन ने
खूब पकवान खिलाये
भई रजिस्ट्री तब करीमन के
मन मे आया ईर्ष्या द्वेष
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
खाला ने फिर जुम्मन को बुलाया
प्यार से धीरे-धीरे समझाया
दे दो बेटा पेट भर भोजन
यह अरमान जताया
झिड़क दिया तब जुम्मन ने
दिल पर लागी ठेस
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
खाला ने पंचायत बुलाया
सरपँच चुना अलगू को
न्याय की कुर्सी पर न्याय किया तब
न्याय हुआ भारी
ना भोजन ना पानी दोगे
तो वापस कर दो खेत
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
दर्द हुआ जुम्मन को भारी
टूट गयी बचपन की यारी
मित्रता का ना धर्म निभाया
चोट मेरे दिल को पहुँचाया
अलगू को दूँगा मैं क्लेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
समझू साहू अलगू से
एक बैल ले आये हैं
कुछ दिन बाद बैल मरा है
दाम नही चुकाए हैं
जब भी माँगे दाम अलगू तो
वो फटकार लगाए हैं
पंचायत की धमकी दी अलगू ने
दिल पे लागी चोट
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
पेड़ के नीचे पूरा गाँव आया
समझू ने जुम्मन को सरपंच बनाया
धक-धक करता अलगू का कलेजा
अब तो हमको फँसाया
न्याय न होगा हक में मेरे
अब तो फँस गया पेंच
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
न्याय की कुर्सी पर बैठे जुम्मन
न्याय धर्म याद आया
न्याय से पग भर हटना उनके
धर्म ने नहीं बताया
न्याय करके तब जुम्मन ने
बदल दिया परिवेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
समझू तुम्हें बैल का दाम
पूरा ही देना होगा
बैल मरा था तुम्हारे यहाँ
तो दोष तुम्हें लेना होगा
पंच परमेश्वर की जय बोले अलगू
न्याय का दिया संदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
मुंशी प्रेमचंद की कहानी
दीपक ने गीत में गाया
न्याय का पाठ कल्पना से अपनी
कहानी में समझाया
मित्र से बढ़कर न्याय सर्वोपरि
यही सबसे बड़ा उपदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
न्याय की में महिमा गाऊँ
गाँव में रहते दो दोस्त
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
साझे में उनकी खेती होती
लेन-देन भी साझा था
जब घर छोड़कर दोनों जाते
जिम्मेदारी का वादा था
यूँ ही दे रहे थे प्रेम का संदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
जुम्मन के अब्बा जुमराती ने
दोनों को पाठ पढ़ाया था
सत्य, न्याय और धर्म का
उन्हें संदेश सुनाया था।
नियत बदल गयी आगे जुम्मन की
धन का आया मन में लोभ
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
जुम्मन की एक बूढ़ी खाला
धन के लोभ में आये
जमीन की लालच में जुम्मन ने
खूब पकवान खिलाये
भई रजिस्ट्री तब करीमन के
मन मे आया ईर्ष्या द्वेष
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
खाला ने फिर जुम्मन को बुलाया
प्यार से धीरे-धीरे समझाया
दे दो बेटा पेट भर भोजन
यह अरमान जताया
झिड़क दिया तब जुम्मन ने
दिल पर लागी ठेस
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
खाला ने पंचायत बुलाया
सरपँच चुना अलगू को
न्याय की कुर्सी पर न्याय किया तब
न्याय हुआ भारी
ना भोजन ना पानी दोगे
तो वापस कर दो खेत
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
दर्द हुआ जुम्मन को भारी
टूट गयी बचपन की यारी
मित्रता का ना धर्म निभाया
चोट मेरे दिल को पहुँचाया
अलगू को दूँगा मैं क्लेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
समझू साहू अलगू से
एक बैल ले आये हैं
कुछ दिन बाद बैल मरा है
दाम नही चुकाए हैं
जब भी माँगे दाम अलगू तो
वो फटकार लगाए हैं
पंचायत की धमकी दी अलगू ने
दिल पे लागी चोट
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
पेड़ के नीचे पूरा गाँव आया
समझू ने जुम्मन को सरपंच बनाया
धक-धक करता अलगू का कलेजा
अब तो हमको फँसाया
न्याय न होगा हक में मेरे
अब तो फँस गया पेंच
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
न्याय की कुर्सी पर बैठे जुम्मन
न्याय धर्म याद आया
न्याय से पग भर हटना उनके
धर्म ने नहीं बताया
न्याय करके तब जुम्मन ने
बदल दिया परिवेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
समझू तुम्हें बैल का दाम
पूरा ही देना होगा
बैल मरा था तुम्हारे यहाँ
तो दोष तुम्हें लेना होगा
पंच परमेश्वर की जय बोले अलगू
न्याय का दिया संदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
मुंशी प्रेमचंद की कहानी
दीपक ने गीत में गाया
न्याय का पाठ कल्पना से अपनी
कहानी में समझाया
मित्र से बढ़कर न्याय सर्वोपरि
यही सबसे बड़ा उपदेश
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
shandar
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुतिकरण
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteNice lines sir
ReplyDeleteGajab ki kavita
ReplyDelete