माँ शारदे की वन्दना
जग के आँगन मन हो पावन
जीवन शुचिमय कर दे।
सरस मधुर शुचि शब्द मनोहर
वाक् शक्ति शुभ कर दे।
प्रीति रीति हो शुभ्र सदा ही
वह संवेदन रस भर दे।
मानस हंस विचर उर अन्तर
मन मराल सम कर दे।
हे शारद ज्ञान प्रदायिनि शाश्वत
सदबुद्धि सभी में भर दे।
तमिस अविद्या आलस भय का
हे माँ मन का तम हर दे।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
जीवन शुचिमय कर दे।
सरस मधुर शुचि शब्द मनोहर
वाक् शक्ति शुभ कर दे।
प्रीति रीति हो शुभ्र सदा ही
वह संवेदन रस भर दे।
मानस हंस विचर उर अन्तर
मन मराल सम कर दे।
हे शारद ज्ञान प्रदायिनि शाश्वत
सदबुद्धि सभी में भर दे।
तमिस अविद्या आलस भय का
हे माँ मन का तम हर दे।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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