पिता तुम्हारा प्यार

खुद काँटों में जीकर देते नव फूलों का हार
जीवन की एक श्रेष्ठ निधि है पिता तुम्हारा प्यार।
पाकर स्नेह तुम्हारा उपवन में फूल सा फूले
हाथी घोड़ा कार बने बाहों में खुशियो के झूले
जीवन की कठिन घड़ी में आह न मुख पर आई
जब भी धूप खड़ी राहों में छाँव तुम्हारी पाई
रोज शाम फल दूध मिठाई नए नए उपहार
जीवन की एक श्रेष्ठ निधि है पिता तुम्हारा प्यार।।1

जीवन की इस कठिन नाव ने जब जब हिचकोले खाये
अनुशासन प्रेम त्याग समर्पण के पथ तुमने दिखलाये
हाथ तुम्हारा सिर पर आये सब सम्भव हो जाता
तुमसे ही तो पूर्ण हुआ है हर रिश्ता हर नाता
प्यार भरी मनुहार कभी तो कभी डाँट फटकार
जीवन की एक श्रेष्ठ निधि है पिता तुम्हारा प्यार।।2

बैग पेंसिल कपड़े जूते की करनी पड़ी न कभी प्रतीक्षा
मन मे सोचे पूरी होती हम सबकी सारी इच्छा
ज्यूँ ही संकट दिखा सामने शक्तिमान बन तुम आये
देख सामने चित्र तुम्हारा दूर हुई सब चिंताएँ
माँ होती यदि स्वर्गमयी तो पिता स्वर्ग का द्वार
जीवन की एक श्रेष्ठ निधि है पिता तुम्हारा प्यार।।3

रचयिता
विशाल रस्तोगी,
प्राथमिक विद्यालय तपरहा बाबा, 
विकास खण्ड-रेउसा,
जनपद-सीतापुर।

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