अब मानव क्यों पेड़ न लगाता
धरती रोये,गगन आँसू बहाता,
अब मानव क्यों पेड़ न लगाता
पड़ रही विकराल तपन धरा पर
जलन हो रही वसुंधरा के वक्षःस्थल पर
नियत नियम से पेड़ काट जाता
अब मानव क्यों पेड़ न लगाता
नही मिले छाया न शीतल बयार
कैसे बरसे बादल से फुहार
पेड़ काट काट मानव बनाये मकान
लेकिन विपत्ति से है अंजान
क्यो ये लोभी समझ न पाता
अब मानव क्यों पेड़ न लगाता
जंगल काट कर रहा वीरान
पशु पक्षी कृत्य से हैं हैरान
आकुल जीवन व्याकुल अभिलाषा
न जाने कितनी बढ़ी प्रत्याशा
मोह माया त्याग, स्वार्थ सिद्ध कर जाता
अब मानव क्यों पेड़ न लगाता
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह महसी,
जनपद-बहराइच।
मो• नं• 9956521700
nice sir
ReplyDeleteशुक्रिया
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