पर्यावरण संरक्षण
धरती दहली, अम्बर दहले,
जलधि में आया तूफान ।
श्वांस-श्वांस में जहर है फैला,
सुधरे ना मानव नादान ।
बंजर होती धरती अब ,
उर में करे द्रवित विलाप।
भौतिकवादी सोच बना के ,
जगत को दिया अभिशाप ।
पंछी, भंवरे बेघर होते ,
सजर रोये अब छछकाल।
काले मेघ को तरसे नैनां ,
चहुँओर दिखे बस अकाल।
जहरीली होता जाये पानी ,
मरे मछली और जलचर प्राणी ।
ऑक्सीजन की कमी से मरते ,
देखो उतराये हैं विषैले पानी ।
सीने की जलन बताते हैं ,
वायु में फैला आर्सेनिक भरमार ।
जीवन संकट को जूझ रहा ,
जन ढूंढ रहा कृत्रिम उपचार ।
वायु में विष घोल रही ध्वनि ,
फैली हाई डेसिमल पार ।
कार्बन मोनो, CO2 फैले ,
मानसिक बीमारी बदले व्यवहार ।
बढ़ती जनसंख्या ने उजाड़े ,
अब कितने कस्बे - गाँव ।
मानव सब भूल रहा जो ,
काट रहा वो अपने ही पाँव ।
बढ़ती जरूरत ने किया है अब,
हर साधन का अंधाधुंध शोषण ।
अब क्यू रोता है तू प्राणी ,
हर ओर फैला घोर प्रदूषण ।
बिन वायु, जल, मिट्टी के
फैले कैसे हरियाली अब।
पौध रोपण और संरक्षण करे ,
मिलेगी वापस खुशहाली तब।
हरियाली है धरती का गहना ,
सुन लो कान खोल कर कहना ।
एक पेड़ लगाकर खुद ,
अपना स्वास्थ्य बचा के रखना ।
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
जलधि में आया तूफान ।
श्वांस-श्वांस में जहर है फैला,
सुधरे ना मानव नादान ।
बंजर होती धरती अब ,
उर में करे द्रवित विलाप।
भौतिकवादी सोच बना के ,
जगत को दिया अभिशाप ।
पंछी, भंवरे बेघर होते ,
सजर रोये अब छछकाल।
काले मेघ को तरसे नैनां ,
चहुँओर दिखे बस अकाल।
जहरीली होता जाये पानी ,
मरे मछली और जलचर प्राणी ।
ऑक्सीजन की कमी से मरते ,
देखो उतराये हैं विषैले पानी ।
सीने की जलन बताते हैं ,
वायु में फैला आर्सेनिक भरमार ।
जीवन संकट को जूझ रहा ,
जन ढूंढ रहा कृत्रिम उपचार ।
वायु में विष घोल रही ध्वनि ,
फैली हाई डेसिमल पार ।
कार्बन मोनो, CO2 फैले ,
मानसिक बीमारी बदले व्यवहार ।
बढ़ती जनसंख्या ने उजाड़े ,
अब कितने कस्बे - गाँव ।
मानव सब भूल रहा जो ,
काट रहा वो अपने ही पाँव ।
बढ़ती जरूरत ने किया है अब,
हर साधन का अंधाधुंध शोषण ।
अब क्यू रोता है तू प्राणी ,
हर ओर फैला घोर प्रदूषण ।
बिन वायु, जल, मिट्टी के
फैले कैसे हरियाली अब।
पौध रोपण और संरक्षण करे ,
मिलेगी वापस खुशहाली तब।
हरियाली है धरती का गहना ,
सुन लो कान खोल कर कहना ।
एक पेड़ लगाकर खुद ,
अपना स्वास्थ्य बचा के रखना ।
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
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