अजब-गजब का खेल
आओ बच्चों मिलकर खेलें ,अजब-गजब का खेल।
कभी हम बनें चोर सिपाही,कभी चलायेंगे हम रेल।
नन्हें बना है एक दरोगा ,बैठा थाने के अन्दर ।
पिंकू बनके बड़ा सिपाही, ले आया अब पकड़ के बन्दर।
बन्दर देखो बहुत निराला,दिखलाये वह अलग ही खेल।
आओ आओ सब जुट जाओ,चलो चलायेंगे अब रेल।
मोनू अपना गार्ड बनेगा,झंडी हरी लाल पकड़ेगा।
जुगनू इंजन बनके बच्चों,चलायेगा जब छुक छुक रेल।
पिंकी,राधा,मोनी,सोनी,बीरू,धीरू डिब्बे बन खेलेंगे खेल।
सोमू,सत्यम देर किए तो,छूट गयी उनकी अब रेल।
गुरू,नमन अब देख देख कहते,हम भी खेलेंगे खेल।
छोटी साँची भी बैठेगी,कहती मैं चलाऊँगी अब रेल।
आओ बच्चों मिलकर खेलें अजब-गजब का खेल।
रचयिता
भालेन्दु नाथ तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सियरहा (सलेमगढ़),
विकास क्षेत्र-सेवरही,
जनपद-कुशीनगर।
कभी हम बनें चोर सिपाही,कभी चलायेंगे हम रेल।
नन्हें बना है एक दरोगा ,बैठा थाने के अन्दर ।
पिंकू बनके बड़ा सिपाही, ले आया अब पकड़ के बन्दर।
बन्दर देखो बहुत निराला,दिखलाये वह अलग ही खेल।
आओ आओ सब जुट जाओ,चलो चलायेंगे अब रेल।
मोनू अपना गार्ड बनेगा,झंडी हरी लाल पकड़ेगा।
जुगनू इंजन बनके बच्चों,चलायेगा जब छुक छुक रेल।
पिंकी,राधा,मोनी,सोनी,बीरू,धीरू डिब्बे बन खेलेंगे खेल।
सोमू,सत्यम देर किए तो,छूट गयी उनकी अब रेल।
गुरू,नमन अब देख देख कहते,हम भी खेलेंगे खेल।
छोटी साँची भी बैठेगी,कहती मैं चलाऊँगी अब रेल।
आओ बच्चों मिलकर खेलें अजब-गजब का खेल।
रचयिता
भालेन्दु नाथ तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सियरहा (सलेमगढ़),
विकास क्षेत्र-सेवरही,
जनपद-कुशीनगर।
Comments
Post a Comment