नववर्ष का उपहार

बात दिसंबर माह 2017 के अंतिम सप्ताह की है । कोहरा धीरे-धीरे दिन को अपने आगोश में ले रहा था। शाम का पहर और रात्रि की कालिमा अपने बदलाव को बता रही थी । उस दिन कुछ घर पहुंचने में विलंब भी हो रहा था क्योंकि हमारे कुछ साथियों द्वारा न्यू ईयर पार्टी के लिए प्लान किया गया और फिर जैसा कि आजकल प्रचलन में है कि एकदम न्यू ग्रुप फॉर न्यू ईयर पार्टी WhatsApp ग्रुप तैयार हो गया और हमारे काफी शिक्षक उसमें धीरे-धीरे जुड़ते चले गए। अब पार्टी किस दिन हो इस पर प्रतिदिन मैसेज आने शुरू हो गए । कोई  दो जनवरी डेट निश्चित करने को कहता, तो कोई तीन जनवरी को, तो कोई चार जनवरी और आठ जनवरी तक आते-आते सब कुछ बिखर सा गया । इस अनिश्चितताओं भरे समय में यह सब देखकर अपने कुछ शिक्षक साथियों की सहमति से न्यू ईयर पार्टी डेट चौदह जनवरी दिन रविवार को निश्चित कर दी और उसके बाद मंथन और कॉफी कोर्नर  रेस्टोरेंट (रामपुर)में जाकर बात की और वहाँ पर प्राप्त खर्चे की जानकारी जुटाकर ग्रुप पर अपने शिक्षक साथी द्वारा डलवा दी। फिर वही अनिश्चितताओं के बादलों ने ग्रुप को अपनी कालिमा से ढक दिया । अब कुछ शिक्षक साथी तैयार तो हो गए पर पूरी तरह एक आम सहमति नहीं बन पाई । मन ही मन विचारों का कारवां बढ़ता जा रहा था ।
ग्रुप पर शिक्षक साथियों द्वारा पार्टी को लेकर हंसी मजाक चल ही रही थी और उस समय मन की उम्मीद जैसे टूटी जा रही थी । वर्ष का अंतिम माह नए साल के नए संकल्प की दिशा में बढ़ रहा था । तेरह जनवरी को मेरे एक शिक्षक साथी द्वारा फोन आया कि क्या पार्टी है ? मैंने उनसे कहा कि पार्टी है और 3:00 बजे से है प्रोग्राम । उन्होंने पूछा कहाँ है मंथन या कॉफी कार्नर में। मैंने उन्हें बताया कि यह थोड़ा सरप्राइज़ रखा गया है।
उन्होंने कहा कि दो तीन लोग क्या पार्टी करेंगे ? मैंने कहा सर पार्टी है आप निश्चित रहें हमारी काफी शिक्षक साथी है। रविवार 14 जनवरी 2018 का दिन भी आ ही गया आसमान भी साफ था धूप खिली हुई थी मैं अपनी बिटिया, शिक्षक साथी वरुण, हरिओम और शकुन के साथ राजकीय बाल गृह रामपुर में गया और वहां बच्चों के  साथ कुछ पल बिताया । हर पल वहाँ का एक नये सुकून, सांसों में ठहराव के एहसास का बोध करा रहा था । और वैसे भी निशब्द में जो महसूस किया जा सकता है उसके आगे शायद शब्द कमजोर पड़ जाते हैं।

 बचपन में बड़ी ही आसानी से हम लोग गुस्सा हो जाते थे और हमारे माता पिता हमें हमारी मनपसंद चीज दिलाकर हमें मना लेते थे । पर जिन बच्चों के मां बाप नहीं होते हैं , हे भगवान  सोचने पर ही डर सा लग जाता है । किसी को इस तरह का समय ना देखने पड़े । हे परमपिता इस दुनिया को कुछ इस तरह बना दो कि इंसान व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना से दूर हो जाए और परोपकार ही उसके जीवन का हो अंग हो । 

मनुष्य के शुद्ध भाव ही उसके भविष्य की दिशा का निर्धारण करते हैं । परंतु इस बार नव वर्ष का इस प्रकार से सेलिब्रेशन मेरे जीवन की किताब में एक सच्चे और नये अनुसंधान के पाठ की तरह समाहित हो गया ।।

जय हिंद जय भारत जय शिक्षक

लेखक 
प्रमोद कुमार
सहायक अध्यापक ,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय धावनी हसनपुर ,
विकास खण्ड - बिलासपुर ,
जिला - रामपुर, उत्तर प्रदेश।


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