ग्रामीणों की मदद से शिक्षक ने बदली स्कूल की सूरत

कुछ लापरवाह शिक्षकों के कारण सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों में गलत धारणा बनी हुई है। वहीं जिले के कुछ शिक्षक इस गलत धारणा को बदलने में लगे है। जिन्होंने खुद के प्रयास से सरकारी विद्यालयों की सूरत बदल दी। खुद और दूसरों से आर्थिक मदद लेकर तथा नए प्रयोग करके सरकारी स्कूलों में बच्चों को कॉवेंट जैसा माहौल दिया। जिससे शैक्षिक स्तर में गुणवत्ता के साथ नामांकन और बच्चों की रोजाना की उपस्थिति बढ़ी है। आज आपका प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान' जिले के ऐसे ही सराहनीय कार्य करने वाले शिक्षकों से आपको रूबरू करा रहा है।
सुशील कुमार ने 20 अक्तूबर 2016 को सरसावा ब्लॉक के गांव फिरोजाबाद स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला। विद्यालय में केवल चार कक्षा कक्ष थे।
एक कक्षा बरामदे में चलती थी। कमरों के फर्श टूटे पड़े थे। भौतिक संसाधनों का अभाव था। प्रधानाचार्य ने स्कूल की मरम्मत के लिये प्रधान से संपर्क किया तो निराशा मिली। इसके बाद शिक्षक ने स्कूल के उन पुरातन छात्रों की सूची बनाई जो वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं। मोबाइल से पुरातन छात्रों से संपर्क करके आर्थिक मदद मांगी। अभिभावकों को भी जागरुक किया। पुरातन छात्र और मजदूरी पेशा ग्रामीणों ने स्कूल के कायाकल्प के लिये मंदिर-मस्जिद की तरह चंदा दिया। एक बार 36 हजार और एक बार 19 हजार रुपये का चंदा एकत्रित हुआ।
इससे कमरों के टूटे फर्श, कक्षा तीन, चार व पांच के लिये फर्नीचर और बच्चों को टाई, बेल्ट व पहचान पत्र प्रदान किये गए। जिससे शैक्षिक सत्र 2018-19 में बच्चों का नामांकन 275 पहुंच गया। विद्यालय में नियमित रूप से बाल संसद, बाल अखबार, भविष्य सृजन, खेल-खेल में शिक्षा व नवाचार से अवगत कराया जाता है। विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम के लिये चयनित किया गया है।
खुद के प्रयास से तैयार की स्मार्ट क्लास: सढ़ौली कदीम के गांव टिडफुवा स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को स्मार्ट क्लास में प्रेरणादाय कविता, गीत व वीडियो दिखाई जाती है। प्रधानाध्यापक शाकिर ने ग्राम प्रधान व अन्य स्टाफ की मदद से स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की। प्रत्येक कक्षा के बच्चों को प्रतिदिन आधा घंटे लैपटॉप के माध्यम से आधुनिकता से रूबरू कराया जता है। कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिये फर्नीचर उपलब्ध कराया गया। अधिक उपस्थिति वाले बच्चों को प्रतिमाह स्टेशनरी, उपहार आदि से पुरस्कृत किया जाता है।
पुवांरका ब्लॉक के गांव मुल्ला नागराजपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पूनम कांबोज स्नान करके साफ कपड़े पहनकर आने वाले बच्चों के साथ रोजाना सेल्फी लेती हैं। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि वर्ष 2015 में विद्यालय ज्वाइन करने के समय बच्चों को दंतमंजन तक का नहीं पता था। बच्चों को ब्रश और दातून के बारे में बताया गया। सफाई का महत्व समझाया गया। अभिभावकों को खुद और बच्चों की सफाई के लिये प्रेरित किया। कुछ बच्चे साफ-सुथरे स्कूल पहुंचे तो उनके साथ सेल्फी लेने का मन किया। यह देख अन्य बच्चों में साफ रहने की भावना जागी। धीरे-धीरे सभी बच्चों साफ-सुथरे रहने लगे और रोजाना सेल्फी का सिलसिला जारी है। इसके अलावा शिक्षा के साथ बच्चों के खेलकूद पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
प्राथमिक विद्यालय बेहट संख्या एक की प्रधानाध्यापिका रीता गुप्ता प्रतिदिन प्रार्थना सभा में बच्चों से अंग्रेजी में उनका परिचय प्राप्त करती है। ताकी बच्चों की अंग्रेजी में कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर हो और आत्मविश्वास बढ़े। अंग्रेजी पर अधिक जोर देने से विद्यालय का चयन अंग्रेजी माध्यम के लिये किया गया। शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ने के कारण बच्चों का नामांकन 246 पहुंचा। बच्चों की उपस्थिति भी 50 फीसदी से 75 फीसदी हो गई। शिक्षिका ने बताया कि चेयरमैन ने स्कूल में स्मार्ट क्लास लगाने का आश्वासन दिया है। चेयरमैन लगातार स्कूल की मॉनिटरिंग करते हैं।
साभारः-हिन्दुस्तान 

 

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