परिवार हमारा

हिम्मत जहाँ,मुहब्बत जहाँ
मिलता है सहारा
वो है परिवार हमारा
वो है परिवार हमारा!
होते थके हारे तो माँ की गोद मिल जाती
बहनें, बुआ, दादी सभी
संस्कार सिखलातीं
भैया के संग संग खेलने में वक्त कट जाए
पापा का हाथ थाम कर
हर भय निकल जाए
पाला हमें सींचा हमें
है जिसने सँवारा
वो है परिवार हमारा
वो है परिवार हमारा

रचयिता
कुहू बनर्जी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अटकोहना,
विकास खण्ड-नकहा,
जनपद-लखीमपुर खीरी।

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