२४५~ ज्ञान प्रकाश प्रा० वि॰ जैतपुर - फफूंद विख -भाग्यनगर , जनपद-औरैया

💎🏅अनमोल रत्न🏅💎

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-औरैया से बेसिक शिक्षा के एक ऐसे विद्यालय से करा रहे हैं। जो समाज के बीच अपनी पहचान आदर्श विद्यालय के रूप में रखता है। हजार मील का सफर भी पहले कदम से ही तय होता है विद्यालय परिवार की ऐसी सकारात्मक संकल्प की सोच और परिवर्तन की प्रेरणा के बल पर सामाजिक सहयोग से अपने विद्यालय का चहुँमुखी विकास करने में सफलता प्राप्त की। जो हम सब के लिए अनुकरणीय गर्व और गौरव के साथ प्रेरक और अनुकरणीय भी है।

आइये देखते हैं विद्यालय परिवार द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-


सर्वप्रथम मेरी नियुक्ति 14 दिसम्बर 2009 में अपने ही जनपद के वि.ख.-एेरवाकटरा के प्रा.वि.शेखूपुर में हुई | मार्च 2013 में प्रा. वि. भटौली फफूंद, विख-सहार में स्थानान्तरण और पदोन्नति उपरान्त 15 सितम्बर 2015 को वर्तमान विद्यालय में प्रअ का पदभार संभालने की जिम्मेदारी मिली|

कार्यभार ग्रहण से पूर्व विद्यालय की स्थिति :

▪ जहाँ चाहरदीवारी और पेड़-पौधे से विहीन विशाल परिसरयुक्त अच्छी स्थिति में विद्यालय भवन, दो सहायक शिक्षिकाएं कुल पंजीकृत 114 में से 14 बच्चों के साथ उपस्थित मिलीं| वहाँ स्वस्थ शैक्षिक व भौतिक परिवेश व अनुशासन के पूर्ण अभाव के चलते अभिभावकों का विद्यालय से कोई लगाव नहीं रह गया था कुछ अभिभावकों ने बच्चों का नामांकन निजी विद्यालय में करा दिया था और इस विद्यालय को विद्यालय कहना और सुनना भी पसंद नहीं कर रहे थे| मन व्यथित हुआ पर तत्काल व्यवस्था परिवर्तन का दृढ़संकल्प लेकर विद्यालय को यथासंभव कम से कम समय में निजी विद्यालय से बेहतर बनाने हेतु प्रथम दिवस से बदलाव की मुहिम में जुट गया |

छात्र उपस्थित बढ़ाने हेतु प्रयास :

▪परिवार के भरण पोषण हेतु बच्चों को झाडू.-पंखा बनाने में लगाये रखने वाले अभिभावकों से लगातार शिक्षा के महत्व पर बात करके अपनी जिम्मेदारी और विश्वास पर बच्चों को विद्यालय भेजने के विशेष अनुरोध करने पर कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को विद्यालय भेजना प्रारम्भ किया जिससे छात्र संख्या में कुछ वृद्धि हुई | तत्पश्चात सहायक शिक्षिकाओं की सहमति से हम तीनों शिक्षकों ने जिम्मेदारी लेते हुए हर परिस्थिति में स्वअनुशासित होकर नियमित रूप से विद्यालय समय से 20 मिनट पूर्व पहुँचकर दैनिक श्यामपट्ट सन्देश कार्य , माइक व साउंड सिस्टम की व्यवस्था के साथ प्रार्थना, राष्ट्रगान, योगासन उपरांत समय से कक्षा संचालन, गतिविधियों के साथ साथ खेलकूद की शुरुआत की| जिसे देखकर अभिभावको में विद्यालय के प्रति विश्वास में वृद्धि हुई फलस्वरूप छात्र उपस्थिति में क्रमश: बढ़ोत्तरी होने लगी| इस हेतु प्रयास निरन्तर जारी रहा और आगे भी रहेगा |

परिवेश में बदलाव का प्रयास :
 
▪ विद्यालय के सुन्दर भौतिक एवं शैक्षिक परिवेश एक साथ ध्यान रखते हुए विद्यालय की आकर्षक रंगाई -पुताई, वॉल पेंटिग , दीवारों पर टीएलएम निर्माण ,
प्रेरक सदविचारों को लिखाने के साथ आफिस में नोटिस बोर्ड ,खिड़कियों के पर्दे, फर्श पर कार्पेट, गुलदस्तों सहित विशेष साज सज्जा के साथ पर्याप्त कुर्सी-मेजों की व्यवस्था ,हिन्दी अंग्रेजी वर्णमाला व अंको की मोहरें मंगाकर बच्चों को कक्षा एवं गृहकार्य देने प्रारंभ किया |

स्वच्छ विद्यालय ,सुन्दर विद्यालय की मुहिम :

▪ स्वच्छता सम्बन्धी आदतें विकसित करने के क्रम में बच्चों को नियमित साबुन या हैण्डवाश से हाथ धुलकर पंक्तिबद्ध बैठाकर भोजन की व्यवस्था प्रारंभ करायी, कक्षा-कक्ष को स्वच्छ बनाये रखने की जिम्मेदारी कक्षा मॉनीटर सहित बालसमिति को दी| इसी प्रयास के अन्तर्गत गाँव कनेक्शन फेडरेशन द्वारा स्वच्छता और स्वास्थ्य विषय पर स्वास्थ्य अधिकारियों की उपस्थित में गांव चौपाल का आयोजन विद्यालय परिसर में किया गया|

बालकेन्दित माहौल बनाने का प्रयास :

▪बच्चो में सामाजिकता विकसित करने और दायित्व निर्वहन के उद्देश्य से खेल समिति, भोजन समिति, पर्यावरण समिति, पुस्तकालय समिति, सांस्कृतिक समिति, पर्यावरण समिति सहित विभिन्न बालसमितियों का गठन किया जिससे कक्षा व विद्यालय संचालन के साथ छात्रों को एक दूसरे से सीखने और सिखाने में विशेष सहयोग मिला |

प्रेम और प्रोत्साहन से बच्चों का उत्साहवर्धक :


▪ आज का दीपक व आज की चांदनी कांसैप्ट के साथ
प्रात: सबसे पहले विद्यालय आने वाले बच्चों के नाम दैनिक श्यामपट संदेश के साथ लिखना शुरु किया जिससे बच्चों में समय से विद्यालय पहुँचने की इच्छा बढ़ी एवं नियमित विद्यालय आने वाले बच्चों को दैनिक शाब्दिक, करतल ध्वनि प्रोत्साहन के साथ माह के अन्त में अभिभावकों सहित सम्मानित करने की व्यवस्था की शुरुआत की| फलस्वरूप अधिकांश बच्चों में नियमित विद्यालय आने व अभिभावकों में पाल्यों को नियमित भेजने की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई |
▪बालिका शिक्षा पर जोर :

घर के कार्य में हाथ बँटाने वाली बालिकाओं को विद्यालय तक लाने के लिए निरन्तर अभिभावक सम्पर्क, शिक्षक-माता अभिभावकों की बैठक, महिला दिवस पर विशेष आयोजन कर शिक्षा के महत्व और महिलाओं की भाागीदारी पर चर्चा एवं सतत प्रयास से आज कुल नामांकन में साठ प्रतिशत बालिकाएँ हैं| व्यवस्था बदलाव के प्रत्येक कार्य में दोनों शिक्षिका बहनों श्रीमती सुमन तिवारी एवं फरहत फातमा का पूर्ण योगदान रहा|

पुस्तकालय का उपयोग :
▪ पढ़ो भारत अभियान के अन्तर्गत करीब पांच सौ बालपुस्तकों से युक्त पुस्तकालय से प्रत्येक शनिवार एक सप्ताह के लिए बच्चों को पढ़ने हेतु पुस्तकें जारी करने से बच्चों में किताबों के प्रति रुचि बढ़ी |

समर कैम्प का आयोजन : ▪ ग्रीष्मावकाश से पूर्व के सप्ताह में समर कैम्प ( गतिविधि सप्ताह ) का आयोजन कर चित्रकला, सुलेख, रंगोली, पेपरक्राफ्ट, मेंहदी, क्लेआर्ट, नृत्य, गायन आदि विभिन्न गतिविधियों में बच्चों को उनकी प्रतिभा प्रदर्शन का मौका देकर सर्वांगीण विकास हेतु प्रयास किया, जिससे बच्चों में स्कूल आकर कुछ अलग करने की इच्छा बनी रहती है|

सत्र समापन पर भव्य समारोह :

▪ सत्रान्त में परीक्षाफल वितरण के साथ ही परीक्षा परिणाम, उपस्थिति व विभिन्न गतिविधियों में सहभागिता के वार्षिक मूल्यांकन के आधार पर जनप्रतिनिधि द्वारा उक्त छात्रों और अभिभावकों को पुरस्कृत करने की शुरुआत की जिससे आम जनमानस में विद्यालय की सकारात्मक छवि बनी |

वित्तीय व्यवस्था :
▪समस्त अतिआवश्यक मूलभूत संसाधनों व रखरखाव की व्यवस्था विद्यालय विकास अनुदान एवं विद्यालय अनुरक्षण मद से की गई| जबकि बच्चों के प्रोत्साहन व पुरस्कार की व्यवस्था व्यक्तिगत रूप से की गई|

सामाजिक सहभागिता से मिला सकारात्मक परिवर्तन : ▪️शुरुआत में विद्यालय प्रबंध समिति की मासिक बैठक में व्यवस्था सुधार पर योजना बनाकर उसके क्रियान्वयन करने पर जोर दिया तत्पश्चात समस्त राष्ट्रीय पर्वों, बच्चों के जन्मदिन, महत्वपूर्ण दिवसों का आयोजन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ विद्यालय प्रबंध समिति एवं अभिभावकों की उपस्थिति में करने और उनके हाथों से परिसर में पेड़-पौधे लगाने की परम्परा की शुरुआत की तथा उनके पाल्यों को उस पौधे की देखरेख, सुरक्षा और नियमित सिंचन की जिम्मेदारी देने का प्रयास किया फलस्वरूप आज खुले परिसर में एक दर्जन से अधिक पौधे एक वर्ष पूराकर अपने पूर्ण आकार लेने को हैं| स्थानीय लोगों मे धीरे धीरे विद्यालय के प्रति आदर भाव जाग जाने से आज विद्यालय परिसर में जानवरों को चराने व गन्दगी होने जैसी समस्यायें न केवल पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकी हैं बल्कि समय-समय पर विद्यालय को सहयोग मिलना भी प्रारंभ हो गया है|
जिसकी शुरुआत सर्वप्रथम दो कक्षाओं दो पंखे व पौधों हेतु दो ट्री गार्ड लगाकर स्वयं की इससे प्रेरित होकर स0अ0 श्रीमती सुमन तिवारी ने एक पंखा व एक ट्री गार्ड, श्री सुभाष चन्द्र -पोस्टमास्टर उपडाकघर हरचन्दपुर ने एक पंखा, श्री अनुपम गुप्ता -व्यवसायी औरैया ने एक पंखा एवं यूनाइटेड टीचर्स एशोसिएशन औरैया ने
बारह जोड़ी बेंच-डेस्क, एक प्रोजेक्टर, एक वाटर प्यूरीफायर, खेल सामग्री, एक बड़ा डस्टबिन, दो ट्रीगार्ड विद्यालय को उपलब्ध कराये |

सन्देश :
▪️किसी बड़े कार्य को पूरा करने के लिए उसे हमें छोटे छोटे भागों में बाँटकर करने में आसानी होती है और सहज लक्ष्य प्राप्ति भी| जरुरत है बस हमें उसकी शुरुआत करने की 🙏🏻

▪उपलब्धियाँ -

◆सामुदायिक सहभागिता से विद्यालय में फर्नीचर, वाटर प्यूरीफायर, प्रोजेक्टर, पंखे, खेल सामग्री, स्वच्छता उपकरणों सहित विभिन्न संसाधनों की उपलब्धता हुई है|

◆ 80% औसत वार्षिक छात्र उपस्थिति, सभी छात्र आधार के साथ नामांकित हैं, बच्चों के स्तर में क्रमागत सुधार|

◆ स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 प्राप्त|

◆कपिलवस्तु, लखनऊ एवं वाराणसी में आयोजित मिशन शिक्षण संवाद शैक्षिक गुणवत्ता सेमिनार/कार्यशालाओं में सम्मान प्राप्त|

◆समय समय पर विभिन्न समाचार पत्रों ने विद्यालय के कार्यों की सराहना के साथ स्थान दिया|

◆विद्यालय में आयोजित शैक्षिक संगोष्ठी में पधारे मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर ग्राम पंचायत द्वारा चाहरदीवारी, माडर्न शौचालय निर्माण की योजना पर कार्य प्रारंभ|

◆ मान. विधायक जी दिबियापुर व आदरणीय बीएसए महोदय द्वारा विद्यालय व्यवस्था की प्रशंसा |
🙏🏻
ज्ञान प्रकाश, प्र0अ0,
प्रा0 वि0 जैतपुर - फफूंद,
विख -भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।











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बहुत-बहुत धन्यवाद |
आपके प्रेम , प्रोत्साहन और समाजिक सहभागिता के साथ किये प्रेरक प्रयासों की प्रगति के लिए आप को सहयोगी विद्यालय परिवार सहित उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएँ!

👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते हैं तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिलाकर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।

👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।

साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०

निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रहकर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।

धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
15/06/2018

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