शिक्षक बनना कहाँ आसान
कहने को तो हम सभी डिग्रीधारी शिक्षक हैं,
पर शिक्षक बनना भी कहाँ आसान है??
अत्यंत दुष्कर परन्तु कार्य यह महान है,
कर सकते वही जिन्हें बहुरंगी कला का ईश्वरीय वरदान है।
कभी गायन, कभी वादन,
कभी नर्तक, कभी दर्शक,
कभी वाचक, कभी श्रोता,
कभी पाठक, कभी लेखक,
तो कभी अभिनय भी पड़ता है करना,
जीवन जीने की कला को हर बच्चे में है।
उल्टे को भी उल्टा करके सीधा है करना।
कला से, विज्ञान से,
और समाज के ज्ञान से।
पथ प्रदर्शक बनकर लक्ष्य तक पहुँचाना है।
'माँ 'बनकर ''शिक्षा रूपी शेरनी का दूध "पिलाना है।
इस दूध की ताकत जब बच्चों की रगों में भर जाएगी,
सच कहती हूँ भारत माँ की शान बहुत बढ़ जाएगी।
रचयिता
ज्योति मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय-ऊँचगाँव,
विकास क्षेत्र-काशी विद्यापीठ,
जनपद-वाराणसी।
पर शिक्षक बनना भी कहाँ आसान है??
अत्यंत दुष्कर परन्तु कार्य यह महान है,
कर सकते वही जिन्हें बहुरंगी कला का ईश्वरीय वरदान है।
कभी गायन, कभी वादन,
कभी नर्तक, कभी दर्शक,
कभी वाचक, कभी श्रोता,
कभी पाठक, कभी लेखक,
तो कभी अभिनय भी पड़ता है करना,
जीवन जीने की कला को हर बच्चे में है।
उल्टे को भी उल्टा करके सीधा है करना।
कला से, विज्ञान से,
और समाज के ज्ञान से।
पथ प्रदर्शक बनकर लक्ष्य तक पहुँचाना है।
'माँ 'बनकर ''शिक्षा रूपी शेरनी का दूध "पिलाना है।
इस दूध की ताकत जब बच्चों की रगों में भर जाएगी,
सच कहती हूँ भारत माँ की शान बहुत बढ़ जाएगी।
रचयिता
ज्योति मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय-ऊँचगाँव,
विकास क्षेत्र-काशी विद्यापीठ,
जनपद-वाराणसी।
Beautiful line
ReplyDeleteATI Sundar line
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