मान है पिता
त्याग , प्रेम , सामर्थ्य की पहचान है पिता ।
बच्चों के सुख दुःख, संगिनी का है मान पिता ।
पिता से ही जग में सुत-सुता का अस्तित्व ,
हर ख्वाहिश को पूरी करता शान है पिता ।
जीवन के संगीत का सरगम " माँ" है तो ,
वाद्ययंत्र पे बजते सुरों का तान है पिता ।
बिखरे जब-जब भी मुकद्दर की चादर यारों ,
स्नेह बरसाता, समस्या का समाधान है पिता ।
ऊपर से है लाख कठोर अन्दर - अन्दर कोमल
पाँव बिवाइयों हाथ छालों से बनता अंजान है पिता ।
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
बच्चों के सुख दुःख, संगिनी का है मान पिता ।
पिता से ही जग में सुत-सुता का अस्तित्व ,
हर ख्वाहिश को पूरी करता शान है पिता ।
जीवन के संगीत का सरगम " माँ" है तो ,
वाद्ययंत्र पे बजते सुरों का तान है पिता ।
बिखरे जब-जब भी मुकद्दर की चादर यारों ,
स्नेह बरसाता, समस्या का समाधान है पिता ।
ऊपर से है लाख कठोर अन्दर - अन्दर कोमल
पाँव बिवाइयों हाथ छालों से बनता अंजान है पिता ।
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
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