वर्षा

रिमझिम -रिमझिम वर्षा आयी।
खुशियों की सौगातें लायी।
घिर-घिर करके बादल आये।
बूँदों की गागर है लाये।

गरज-गरज के वर्षा करते।
भीग रहे सब छाता ताने।
टप-टप गिरती जल की बूँदें।
सपने जैसे हुए सयाने।

जगह-जगह पर जल की बूँदें ।
भरने लगी खेत की खायी।
ठमक-ठमक कर नाचे मोर।
मन में खुशियाँ है छायीं।

पी-पी करने लगे पपीहे।
लहर खुशी की मन में छायी।
टर्र-टर्र मेंढक की आवाजें।
कौतूहल है लेकर आयी।

देख-देखकर जल की बूँदें ।
खुशियाँ है मन में छायीं।
झन-झन झीगुर की आवाजें।
मन में खुशियाँ हैं लायी।

रचयिता
हरीओम सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पेरई,
विकास खण्ड-नेवादा,
जनपद-कौशाम्बी।

Comments

Total Pageviews