अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
कभी दादी कभी अम्मा बनके,
प्यार में अपनों को डाँटती है,
खुश हो सकती मगर,
अपने हिस्से की खुशियाँ वो बाँटती है,
आने पर आती है घर लक्ष्मी,
रोशनी, समृद्धि, हर्षिता अनादि,
अनुपम कृति बालिकाएँ,
अपने एक नही द्विज घर को पाटती है।
रचयिता
ऋषि दीक्षित,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भटियार,
विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,
जनपद- एटा।
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