मुझे भी उड़ना है
मत बनाओ देवी,
न करो अर्चना।
दो उड़ने आसमां में,
है यही याचना।।
दिन आ जाये वो,
सकूँ निकल बेधड़क।
कदम न थरथरायें,
गली हो या सड़क।।
झूठ, फरेब, छल से,
मन हार है जाता।
जिन्दगी से अलविदा का,
फैसला भी हो जाता।।
ख्वाहिशें है हमारी,
आसमां को छूने की।
करती हूँ संघर्ष परन्तु,
जिन्दगी को जीने की।।
हे कृष्ण! विनती है हमारी,
दुराचारी, पापी को पहले समझायें।
समझ न आये गर तनिक भी,
चक्र सुदर्शन अवश्य घुमायें।।
रचयिता
सरिता तिवारी,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय कन्दैला,
विकास खण्ड-मसौधा,
जनपद-अयोध्या।
Comments
Post a Comment