हौंसले की उड़ान
शहर की मशहूर गायनी डॉक्टर ने नवरात्रे के व्रत रखे। आज कंजक पूजन के लिए 7 कन्यायें चाहिए थीं। महिला डॉक्टर खुद ही निकल पड़ीं घर से कि वो खुद जायेगी तो कन्याओं के माता-पिता खुद लेकर दौड़े आयेंगे अपनी बेटियाँ।
महिला डॉक्टर पड़ोस में आये नए पड़ोसी के घर गयी। अपना परिचय दिया। नई पड़ोसन ने उसे अदब से अंदर बुलाया, बैठाया और अपनी बड़ी बेटी से मिलवाया। ये मेरी बड़ी बेटी है। ऐरोनॉट्स की पढ़ाई की है। नासा घूम आई है। उन्हीं की स्कालरशिप से आगे पढ़ रही है।
डॉक्टर साहिबा आपको याद नहीं होगा शायद। मेरी सास ने टेस्ट करवाया था आपसे और गर्भ गिराने के लिए आपको पैसे दिए थे। लेकिन मैंने उनकी जिद्द नहीं मानी थी। आपने भी काउंसलिंग के नाम पर गर्भ गिराने के लिए राजी करने का पूरा प्रयास किया था।
उसके बाद मेरे एक और बेटी हुई डॉक्टर साहिबा आपके बेटे की क्लास मेट है। बेटे से पूछना की क्लास में जो बच्चा फर्स्ट आता है वो कौन लड़की है, वो मेरी ही बेटी है।
हमारा तलाक हो चुका है डॉक्टर साहिबा।
आपने वो काउंसिलिंग मेरी सास और पति की करी होती तो शायद मेरा तलाक ना होता।
खैर~ हम इन कंजक पूजन में विश्वास नहीं रखते डॉक्टर साहिब। दोगला चरित्र मुझे पसंद नहीं। आप बैठिये मैं चाय लाती हूँ।
डॉक्टर से उठना नहीं हो रहा था और बैठने की नैतिकता नहीं बची थी।
जैसे-तैसे वह उस घर से निकली और सीधे अपने घर वापिस चली गयी। नौकर को कहा~ ये सामान ले जाओ~ जहाँ कंजक मिले उसे दे आओ।
रचयिता
ज्योति शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय गिन्दौड़ा,
विकास क्षेत्र-मुरादाबाद(ग्रामीण),
जनपद-मुरादाबाद।
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