कब होगा दहन

कब से जला रहे तुम लंका का रावण

भीतर के अपने रावण का होगा कब दहन?


सीखो उसी से जो हर वर्ष रहा जल

जिसने किया सिया से एक बड़ा छल।

हर साल वो अग्नि की झेलता जलन

भीतर के अपने रावण का होगा कब दहन?

कर्म उसके भूल न पायी ये धरा

उसको जलाने की हम निभाएँ परम्परा

जलने का उसके हम मनाते हैं जश्न

भीतर के अपने रावण का होगा कब दहन?

कितनी अंकिता और आलिया के

आज के रावण ने किया मान का मर्दन

हो रहा समाज का कैसा ये पतन

भीतर के अपने रावण का होगा कब दहन?


रचयिता
कौसर जहाँ,
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बड़गहन,
विकास क्षेत्र-पिपरौली,
जनपद-गोरखपुर।



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