विश्व कपास दिवस
"जो खुद धोती कुर्ते में है, वह सब के लिए कपास उगाते हैं।
निस्वार्थ सबको जीवन देता, किसान भाई सिखाते हैं।"
भैया ये नहीं, कॉटन के सूट दिखाना। सूती कपड़ों में आराम लगता है। अरे भाई साहब जरा कॉटन की साड़ियाँ दिखाइये।इस बार 15 अगस्त को मुझे कॉटन की साड़ी ही पहननी है।कॉटन की साड़ियों का लुक बहुत अलग आता है और बड़ा ही क्लासिक लगता है। अरे हम तो नेता ठहरे हमें तो कुर्ता पजामा ही फबता है।
ओहो! दिये में बाती तो है ही नहीं, जरा रूई लाना। "हाँ अभी लाते हैं बातियों का बना पैकेट।" इस बात से स्पष्ट हो गया है कि रुई का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। चाहें वह कपड़ों में उपयोग हो या मंदिर में भगवान के सामने दिए में हर जगह कॉटन की आवश्यकता पड़ती है। चाहें किसी के पैर में चोट लग गई हो या इंजेक्शन लगा हो हर जगह डॉक्टर भी रुई का इस्तेमाल करते हैं। जब मैं छोटी थी और मेरे बाबा किसान थे। उन्होंने खेत में एक रुई का पेड़ लगा रखा था। उस समय में 6-7 साल की थी। उस समय का अनुभव मुझे अभी भी याद है। किस तरह खोल में रूई बंद थी।
आज विश्व कपास दिवस है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र व्यापार विकास सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र और अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति द्वारा हर साल मनाया जाता है। 7 अक्टूबर 2019 को पहला कपास दिवस मनाया गया।
कपास काली मिट्टी में होता और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कपास की खेती की जाती है। हमारा भारत देश दुनिया में सबसे ज्यादा कपास का उत्पादन करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हर साल 62 लाख कपास भारत में पैदा होता हैै। हम सब लोग सूती वस्त्र ज्यादा पंसद करते हैं। तो सबसे ज्यादा सूती वस्त्र के उपयोग में लाया जाता है और कपास से तेल भी निकलता है।
अब दीवाली आने वाली है, मिट्टी के दीपक जलाने में रुई की बहुत आवश्यकता पड़ेगी। आखिर दीया और बाती का साथ ही ऐसा है। पिछले वर्ष अयोध्या में 900000 मिट्टी के दीए जलाए गए थे और शिवरात्रि पर भी 2022 उज्जैन में 21 लाख मिट्टी के दीए जलाए गए। जगमग दीपों से मानव मन प्रफुल्लित हो उठेगा। मन में आशा और उमंग के दिए जल उठेंगे।
सर्दी आने वाली और भयंकर सर्दियों में रुई की रजाइयाँ ही
आराम दे पाती हैं।
"मुसीबतें रुई से भरे थैले की तरह होती हैं, देखते रहोगे तो बहुत भारी दिखेंगी और उठा लोगे तो एकदम हल्की हो जाएँगी।"
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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