सोलह श्रृंगार
तर्ज - लेे के पहला-पहला प्यार
करके सोलह श्रृंगार,
करूँ तेरा इंतजार।
आ जाओ साजन अब,
ना करो बेकरार।
मेहंदी रचाई मैंने,
हाथों में साजन।
बिंदिया सजाई मैंने,
माथे पे साजन।
नैनों में कजरे की धार,
गले फूलों का हार।
आ जाओ साजन अब,
ना करो बेकरार।
करके सोलह........
होंठो पे लाली,
हाथों में थाली।
चूनर सिर पर,
मैंने लाल डाली।
हाथों में चूड़ी की कतार,
बोले बस ये ही बारम्बार।
आ जाओ साजन अब,
ना करो बेकरार।
करके सोलह........
छत पर बैठी मैं,
चाँद को निहारूँ।
लंबी उमरिया तेरी,
साजन मैं माँगूँ।
करूँ तन मन मैं निसार,
तू ही पिया मेरा संसार।
आ जाओ साजन अब,
ना करो बेकरार।
करके सोलह........
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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