अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते सब, 11 अक्टूबर,
उद्देश्य इसका बने बालिकाएँ आत्मनिर्भर।
कहने को तो चाँद तक पहुँच चुकी दुनिया,
फिर भी प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पातीं बेटियाँ।
बेटियाँ पढ़ाने को भारत सरकार ने चलाए अभियान,
जिससे बेटियाँ बनें सशक्त और बनें शिक्षावान।
होने लगा है नवयुग का आगमन,
जेट फाइटर उड़ा कर बेटियाँ छूने लगीं आसमान।
बेटियों के हौसले ने पेश करी एक और मिसाल,
14 वर्ष की हशिका है एक कुशल तैराक।
राष्ट्रीय खेलों में जीते स्वर्ण पदक,
बालिकाओं की तरक्की से बढ़ गया उनका कद।
अशिक्षा और रूढ़िवादिता से उबरने को,
बचाओ बेटी को - पढ़ाओ बेटी को
महिला सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण,
मिशन शक्ति से आगे बढ़ेगा ये आंदोलन।
आओ रूढ़िवादिता की सोच को तोड़ें,
हर बालिका को शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़े जोड़ें।
रचयिता
भारती मांगलिक,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय औरंगाबाद,
विकास खण्ड-लखावटी,
जनपद-बुलंदशहर।
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