अन्तर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस
गाँवों में बसती है आधी आबादी,
ग्रामीण विकास में महिलाओं ने बाजी मारी।
खेत-खलिहान, पशु दूध उद्योग सँभाले,
ग्रामीण महिलाएँ उपले-कंडे से खर्चा निकालें।।
कुटीर ग्रामीण उद्योग महिलायें चलातीं,
अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं।
रोपाई, निराई, सिंचाई, कटाई और भंडारण,
शुरू से अंत तक हर कार्य ग्रामिणी हैं करती।।
शारीरिक, मानसिक, आर्थिक उत्पीड़न ना हो,
सामाजिक सुरक्षा एवं सेवाओं तक पहुँच हो।
पूर्ण अधिकारों में प्रतिनिधित्व मिले उन्हें,
वित्तीय सुविधाओं तक ग्रामिणी की पहुँच हो।।
प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को विश्व में,
अन्तर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाते हैं।
कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा गरीबी उन्मूलन हेतु,
महिलाओं के महत्व के प्रति जागरूकता लाते हैं।।
बीजिंग में महिलाओं के चौथे विश्व सम्मेलन में,
1995 में पहली बार, ये दिवस बनाया गया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिवस को,
आधिकारिक रूप से 2007 में अपनाया गया।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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