जय हो गोवर्धन महाराज

बनाते हो तुम सबके बिगड़े काज,

तुम्हारी जय हो गोवर्धन महाराज।

कहलाते हो तुम पर्वतों के राजा गिरिराज,

जैसे कल थे, वैसे ही डटे खड़े हो आज।।


एक दिन जब मेघ था घनघोर आया,

तब कान्हा जी ने जग की रक्षा को,

तर्जनी उँगली पर था तुम्हें उठाया।

जग की रक्षा करने की दी हमको शिक्षा।।


गोवर्धन महाराज को कान्हा जी ने,

जब उँगली पर था उठाया।

उसी दिन की याद दिलाने,

आया है गोवर्धन पूजा त्योहार निराला।।

  

गौ पूजा और अन्नकूट के नाम से भी,

इसको जाना जाता।

गोवर्धन का त्योहार भी है यह कहलाता।

इस पूजा में गौ पूजा का है महत्व विशेष,

गौ माता को माना जाता लक्ष्मी का

वेश।।


जैसे लक्ष्मी जी धन-धान्य से घर को है भरती,

उसी तरह गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी खजाना प्रदान है करती।

दीपावली के पूजन के अगले दिन है यह त्योहार आता,

हर जन खुशी-खुशी इसको मनाता।।


रचयिता 

ब्रजेश सिंह,

सहायक  अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय बीठना, 

विकास खण्ड-लोधा,

जनपद-अलीगढ़।



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