भाई दूज
तर्ज - तुम तो ठहरे परदेसी
लगा तिलक माथे पर,
खुशी भाई की मनाऊँगी।
मीठा भाई को खिलाकर के,
भाई दूज मैं मनाऊँगी।
साथ भाई का ना छूटे कभी,
प्यार भाई का ना टूटे कभी।
हाथ में हाथ लेकर के,
भाई दूज मैं मनाऊँगी।
लगा तिलक.........
खुशी भाई की चाहूँगी,
और कुछ भी ना माँगूँगी।
शीश प्रभु को झुकाकर के,
भाई दूज मैं मनाऊँगी।
लगा तिलक.........
साथ तेरा मैं निभाऊँगी,
ढाल तेरी मैं बन जाऊँगी।
हर मुश्किल घड़ी में सदा,
साथ तुझको मैं पाऊँगी।
लगा तिलक.........
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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