लौह पुरुष

एकसूत्र में हम बँध जाएँ,

ऐसा स्वप्न सजाया था।

देशभक्ति में हम रम जाएँ,

ऐसा पाठ पढ़ाया था।।


जनता के दिल की धड़कन को,

सुनने कान लगाया था।

जाति-पाँति का भेद मिटाकर,

सबका मेल कराया था।।


स्वतंत्रता सेनानियों संग,

मिलकर कदम बढ़ाया था।

अनोखी कुशल रणनीति से,

देश स्वतंत्र कराया था।।


जनहित के कार्यों में तत्पर,

आला पुण्य कमाया था।

लौह पुरुष को भारत रत्न,

उच्चतम मान पाया था।।


रचयिता

ऋषि दीक्षित, 

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय भटियार,

विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,

जनपद- एटा।

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