गोवर्धन पूजा
पवित्र कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष भाव,
अलौकिक गोवर्धन पूजा मने संभाव।
प्रकृति से जुड़े कृष्ण, माँ से करें गुहार,
गइया चरती, गोवर्धन पर्वत के छाँव।।
प्रकृति ही इष्ट होते, पूजे पर्वत महान,
महिमा गोवर्धन पर्वत की, गाये जहान।
इंद्र हुए क्रोधित, चारों ओर मचा हाहाकार,
निरन्तर मूसलाधार वर्षा से, संकट में जान।।
ब्रजवासियों की वर्षा से हुआ बुरा हाल,
क्रोधित इंद्र को मनाने पहुँचे कृष्ण दरबार।
सत्य की रक्षा हेतु गोवर्धन पर्वत को उठाया,
नर-नारी, गौ माता ने किया जय जयकार।।
कृपासिन्धु, भक्तवत्सल कृष्ण गिरिधर कहलाये,
जो भी अन्य मिला, सबसे मिलाकर अन्नकूट मनाये
दंभ टूटा इंद्र का, शरणागत हो करें पश्चाताप,
जय-जयकार करे बृजवासी, त्योहार मनाया।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
Comments
Post a Comment