महीनों के नाम
ज से होती जनवरी,
दूसरा महीना है फरवरी।
म से मामा मार्च में आए,
अप्रैल में हम स्कूल को जाएँ।
मई में हम खूब खाते आम,
जून में पड़ता नहीं कोई काम।
छम छम बारिश जुलाई में बरसे,
हरियाली देख मन अगस्त में हर्षे।
नवाँ महीना है सितंबर,
दसवीं सीढ़ी पर अक्टूबर।
न से नवंबर में हम नाचे,
दिसंबर में खाएँ गरम समोसे।
रचयिता
गरिमा सिंह चंदेल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चन्द्रवल किशनपुर,
विकास खण्ड-मैथा,
जनपद-कानपुर देहात।
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