पिता
पिता तुम मेरे गुरु समान,
तुम बिन जीवन नाहि।
यह जग सारी सम्पदा,
तुमसे बढ़कर नाहि।।
पिता समान कोई नही,
मुझको चलना सिखाया।
जब-जब चलकर मैं गिरी,
अपना हाथ बढ़ाया।।
आधी रोटी खाय के,
मुझको शिक्षा दिलाई।
सदाचार की बातें ही,
मुझको सदा बताई।।
भले बुरे का ज्ञान दिया,
मुझे इस योग्य बनाया।
अपने ज्ञान के तेज से,
सब अन्धकार मिटाया।।
मेरे पिता मेरे गुरु,
वो है देव समान।
ज्ञान का दाता बना दिया,
मैं थी एक नादान।।
स्वार्थ के इस जगत में,
मेरा अपना ना कोय।
पिता तुम्हारा ज्ञान ही,
पार लगाएगा मोय।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
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