धरती कहे पुकार के

धरती कहे पुकार के बचा लो मुझे,

अगर मैं बच गई तो बचा लूँगी तुझे।

पर्यावरण संरक्षण पर कहने को तो बहुत कुछ है,

पर यहाँ कहना नहीं करना सबको कुछ-कुछ है।।


बातें तो छोटी-छोटी हैं पर रखो ध्यान में,

सब्जी लाओ हमेशा कपड़े के थैले में।

प्लास्टिक को करो रिड्यूस,

रिसाइल, रिकवर और रीयूज।।


कमरे में ना हो तो बत्ती पंखा बन्द रखो,

जितनी जरूरत हो उतना ही पानी लो।

जन्म दिवस पर करो पौधारोपण,

फिर लो संकल्प कि करोगे उसका पोषण।।


नदी-तालाब को स्वच्छ और सुन्दर बनाओ,

उनके किनारे नीम, आँवला, बरगद,पीपल, कदंब के वृक्ष लगाओ।

ठंडी छाया और जीवन रक्षक प्राण वायु का लाभ उठाओ,

साथ ही रोग नाशक औषधियों का खजाना पाओ।।


आओ हाथ से हाथ मिलाएँ,

एक नया इतिहास रच जाए।

इस धरा को फिर से सजाएँ,

नई पीढ़ी को जीवन दान दे जाएँ।।


रचयिता

प्रियंका गौतम,

प्रधानाध्यापक,

कंपोजिट विद्यालय कन्या एत्मादपुर,

विकास खण्ड-एत्मादपुर, 

जनपद-आगरा।



Comments

Total Pageviews