छोटी सी कोशिश

एक छात्र की माँ ने शिक्षक से यह बोला,

गरीबी बहुत है, राज अपने घर का खोला।

अपने खेतों में दिनभर मेहनत हम करते,

कोई नहीं सहारा, मुश्किल से पेट हैं भरते।

बच्चा साथ नहीं देगा तो कैसे काम चलेगा,

बिना दाना पानी शरीर कोई कैसे हिलेगा।

बेवजह काम छोड़कर हम कहीं नहीं जाते,

कारण बच्चे को रोज स्कूल भेज नहीं पाते।


मजबूर जन जीवन से कुछ खोया कुछ पाया,

सुनके उस माँ की व्यथा, शिक्षक ने समझाया।

बदल जाएगा जीवन आपका मानो मेरी बात,

सुख शांति यश वैभव शिक्षा दे ऐसी सौगात।

जाने कितने लोगों ने बेशक रोटी काम खाई,

ओहदे ऊँचे, जिसने बच्चों को शिक्षा दिलवाई।

उदाहरण महापुरुषों के उस माँ के जाते-जाते,

छोटी सी कोशिश छात्र रोज स्कूल आते-जाते।


रचयिता

ऋषि दीक्षित, 

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय भटियार,

विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,

जनपद- एटा।

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