५४१~ अनमोल रत्न किरन नैथानी प्रधानाध्यापक राजकीय नन्दन नगरपालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय श्रीनगर,, विकास क्षेत्र - खिर्सू, जनपद- पौडी गढ़वाल

 🏅अनमोल रत्न🏅 

शिक्षक /शिक्षिका का परिचय

श्रीमती किरन नैथानी (प्र०अ०)



राजकीय नन्दन नगरपालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय श्रीनगर,, विकास क्षेत्र - खिर्सू,  जनपद- पौडी गढ़वाल

राज्य- उत्तराखण्ड

प्रथम नियुक्ति- 16/03/1992

वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति- 10/09/2011

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1-विद्यालय को उत्कृष्ट बनाने के प्रयास 

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A-स्वयं के प्रयास 

 1- भौतिक रूप से विद्यालय भवन , कक्षा कक्षों एवं कार्यालय को सुसज्जित किया एवं स्वयं एक शौचालय निर्माण करवाया।

2-विद्यालय जाने वाली गली को नगरपालिका के सहयोग से पक्का करवाया एव स्वयं गेट लगवाया।

3-अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों हेतु छात्रों के लिए विविध पोशाकों का इन्तजाम  किया।

4- समय-समय पर अभिभावकों से सम्पर्क कर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करना।

5-विभागीय धनराशि का विद्यालय प्रबन्धन समिति के साथ समुचित उपयोग कर आवश्यक सामग्री क्रय की जाती है।

6- झुग्गी-झोपड़ी वाले 6 छात्रों को पढ़ाई की मुख्यधारा से जोड़ा।

7- छात्रों में स्वरचित कविताओं , कहानियों, पहेलियों के माध्यम से लेखन के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करना।





B- शिक्षकों के सहयोग से

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विद्यालय की समस्त शैक्षणिक एवं भौतिक गतिविधियों में सहयोग से नामांँकन में वृद्धि कर शैक्षिक स्तर में सुधार किया गया I

C- जनप्रतिनिधियों के सहयोग से

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1 - विद्यालय भवन की रंगाई-पुताई करवायी गयी।

2-रोटरी क्लब द्वारा छात्रों को स्वेटर वितरित किये गये।

3- बैंक आफ इण्डिया की तरफ से छात्रों को लेखन सामग्री दी गयी।

D-जन सहभागिता से

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स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।

2- किये गये प्रयासों के परिणाम

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1 -  विगत वर्षों की अपेक्षा छात्र संख्या में लगभग 5०% वृद्धि।

2-डायट स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं निबन्ध ,पेण्टिंग एवं क्विज में आनलाइन/ आफ लाइन प्रतिभाग एवं स्थान प्राप्त किया।

3- सपनों की उड़ान कार्यक्रमों में कविता पाठ, निबन्ध ,पेण्टिंग , अन्त्याक्षरी एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में छात्रों का प्रतिभाग विकास खण्ड स्तर एवं जिला स्तर पर स्थान प्राप्त किया।

4- प्राइवेट विद्यालयों से छात्रों को अपने विद्यालय में प्रवेश कराया। 

5-खेलकूद प्रतियोगिताओं में स्थान प्राप्त करना ।

6 -विद्यालय स्तरीय सभी कार्यक्रमों को यथा- प्रवेश उत्सव, राष्ट्रीय पर्व, प्रतिभा दिवस, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, आनन्दम्, आदि गतिविधियों में सम्मानीय गणमान व्यक्तियों द्वारा छात्रों को पुरस्कृत करना।

7- लाॅकडाउन से पूर्व एच० एन० बी० गढ़वाल विश्वविद्यालय के थियेटर विभाग द्वारा नाटक प्रतियोगिता करवायी गयी जिसमें 'पंच लाइट' में नाटक कर छात्रों ने  द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

8 -श्रीनगर में विभिन्न अवसरों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जैसे वैकुण्ठ चतुर्दशी मेले में प्रेड एवं लोक नृत्य में प्रतिभाग, फूलदेई कार्यक्रम व चैती गीत सहित अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करना। 

9- इन्सपायर अवार्ड में तीन छात्रों का जिला स्तर पर चयन एवं प्रतिभागI

10- मिशन शिक्षण संवाद में शेयर दैनिक आॅनलाइन गृहकार्य के तहत संस्कृत विषय में कण्टेण्ट तैयार किया एवं वीडियो बनायी। 

11- काव्यांजालि समूह में सहयोग एवं कविता निर्माण करना।

12-वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए लिंक निर्माण करना।












शिक्षक की उपलब्धि 

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1-संकुल स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान।

2-डायट स्तर पर छपने वाली पुस्तिका में लेख एवं कविताएंँ छ्पना।

3-विभिन्न काव्य गोष्ठियों से सम्मान पत्र प्राप्त होना ।

4 -5 सितम्बर 2014 को खैरासैण सतपुली में उत्कृष्ट अध्यापक का सम्मानI

5-विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं एवं अन्य गतिविधियों में सहयोग किये जाने के प्रमाण पत्र ।

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मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश

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मिशन शिक्षण संवाद एक कर्मक्षेत्र है,

जो समर्पण, सहयोग की मिशाल है।

सहज स्वावाभिक गति से चलकर,

विविध आयामों का चक्र विशाल है।। 


नियमित योग, विस्तृत शब्द भण्डार।

रोचक तथ्य, नित-नित नव सुविचार।

बाल सृजन हो या विषयगत शिक्षण,

प्रतियोगिता परीक्षाओं का शिक्षण।। 


श्यामपट्टकार्य हो या कविता सृजन,

कहानी निर्माण या सामान्य ज्ञान शिक्षण। 

सभी सकारात्मक सफल विचार,

नित मेहनत से झटपट होते तैयार।। 


मिशन शिक्षण संवाद स्वानुशासन है, 

 मिशन शिक्षण संवाद प्रोत्साहन है।

मिशन शिक्षण संवाद सामूहिक मेहनत है , 

जिसमें निहित शिक्षक, समाज, छात्र हित है।। 


अधिगम शिक्षण की प्रकृति का नवीन व्यवहार है, 

स्वस्थ चिंतन, मनन और ज्ञान का प्रवाह है।

शिक्षा का उत्थान और शिक्षकों का सम्मान है।

मिशन शिक्षण संवाद प्रयास है, उन्नयन जिसका सार है।। 

शिक्षक समाज के लिए संदेश

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शिक्षक की विशेष शिक्षण कार्यशैली ही शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान  रखती है सर्वप्रथम शिक्षक को स्वयं की शक्तियों को पहचानना अनिवार्य है ताकि हमारी समस्याएंँ एवं चुनौतियाँ स्वाभाविक रूप से समाधान में परिवर्तित होकर लक्ष्य की ओर बढ़ती रहें।


संकलन एवं सहयोग - श्रीमती रीता सेमवाल, जिला एडमिन, पौड़ी गढ़वाल 

साभार-माधव सिंह नेगी 

मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखण्ड


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