बिरसा मुंडा

आदिवासी बिरसा मुंडा थे,

छोटा नागपुर पठार के लाल।

जनजातियों के लिए शान बने,

स्वतंत्रता के लिये किये कमाल।।


जंगल उनका घर होता था,

पेड़-पौधे आँगन सामान।

कुरीतियों पर प्रहार किया व

शिक्षा से किया जनजाति उत्थान।


तीर-कमान थामे, भीलों संग,

अंग्रेजों को उन्होंने ललकारा था।

झुके नहीं गरीबी, अन्याय से,

दुश्मन को सीना तान पुकारा था।। 


बिरसा मुंडा भूमि पुत्र कहलाये,

जनजातिओं के वह थे खेवनहार।

अंधविश्वास, अशिक्षा को उखाड़ फेंका,

शोषण से मुक्ति हेतु लिया अवतार।। 


सामाजिक स्तर पर  प्रभाव दिखाये, 

शिक्षा व स्वच्छता का अलख जगाये। 

'बेगारी प्रथा' के विरुद्ध आंदोलन चलाकर, 

देशप्रेम कुर्बान हो 9 जून को वे मुक्ति पाये।।


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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