प्रकृति मित्र

पर्यावरण हमारा देखो,

कितना प्यारा-प्यारा है?

देकर जीवन हमको,

प्रकृति ने ही सँवारा है।।


सूर्य के बिना हे मानव!

ऐसा प्रकाश कहाँ से पाओगे?

नहीं होगा चन्द्रमा यदि,

शीतल चाँदनी कहाँ से लाओगे?


देकर ऑक्सीजन निःशुल्क,

पेड़-पौधों ने हमको पाला है।

भोजन भी दिया है हमको,

प्रकृति की देन हर एक निवाला है।।


पशु-पक्षियों का जीवन भी,

पेड़-पौधों की बदौलत है।

दुनिया के हर धन से कीमती,

यह प्रकृति की दौलत है।।


इस दौलत को अन्धाधुन्ध जो,

यूँही हम सब बर्बाद करेंगे।

पछताना होगा हमें एक दिन,

फिर प्रकृति को याद करेंगे।।


पिछले दिनों देखा जो हमने,

घोर संकट ऑक्सीजन का।

अनेक लोगों ने इस विपदा में,

परित्याग किया है जीवन का।।


प्राकृतिक संसाधनों का जो,

अनावश्यक दोहन करेंगे हम।

फिर किसी दिन इससे भी बड़ी,

विपत्ति का सामना करेंगे हम।।


करना है दृढ़ निश्चय हमको,

प्रकृति मित्र हम बन जाएँगे।

प्रकृति की रक्षा को हर खुशी,

एक पौधा लगाकर ही मनाएँगे।।


रचयिता

जितेन्द्र कुमार,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय धनौरा सिल्वर नगर-1,

विकास खण्ड-बागपत,

जनपद-बागपत।



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