मेरी माँ

ऐ माँ! तेरे किन-किन, गुणों का मैं बखान करूँ।

किन शब्दों से तेरी, महिमा का मैं गुणगान करूँ।।


शब्द नहीं हैं मेरे पास, जो लेखनी से मैं सजाऊँ।

तेरे चरणों में हो नतमस्तक, आशीष तेरा मैं पाऊँ।।


गर्भ में नौ माह पाल मुझे, तुम इस जहां में लायीं।

उँगली पकड़ के तुमने, ईश्वर सी प्रीत लगायी।।


जन्म देकर दिया मुझको, जीवन जीने का अधिकार।

ममतामयी आँचल से सींच, हर पल दिया लाड़-प्यार।।


पग-पग आगे बढ़े जीवन में, जब-जब जले मेरे पाँव।

गोदी में बैठाकर तुमने, दी करूणामयी आँचल की छाँव।।


प्रेम-वात्सल्य की मूरत बन, जीवन की हर बात सिखायी।

सुख-दुःख की हर घड़ी में, खुशियों की रैन बरसायी।।


माँ तुमसे घर है जन्नत, तुम हो खुशियों का संसार।

तेरा कर्ज ना उतर पायेगा, माँ तेरे अनगिनत उपकार।।


रचयिता

अमित गोयल,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा,

विकास क्षेत्र व जनपद-बागपत।

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