बुद्ध पूर्णिमा

धर्म युद्ध है कहीं, 

कहीं है जाति युद्घ। 

जो आपदा ये टाल सके,

कहलाये वही बुद्ध।।


ईर्ष्या, द्वेष, लालच का,

भर चुका घड़ा। 

जो सके तोड़ इन्हें, 

कहलाये वही बुद्ध।।


ऊँच-नीच भेदभाव, 

छू रहे हैं आसमां। 

जो मात दे सके इन्हें, 

कहलाये वही बुद्ध।।


छल-कपट अविश्वास की, 

चल रही हैं आँधियाँ।

जो नष्ट कर सके इन्हें, 

कहलाये वही बुद्ध।।


ज्वार भ्रष्टाचार का,

चढ़ रहा है चहुँओर ।

जो इसका कर सके दमन,

कहलाये वही बुद्ध।।


रचयिता

सरिता तिवारी,

सहायक अध्यापक,

कम्पोजिट विद्यालय कन्दैला,

विकास खण्ड-मसौधा, 

जनपद-अयोध्या।


Comments

Total Pageviews