विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर,

हम सब ये संकल्प उठायें। 

हरी-भरी सी अपनी धरा को,

तम्बाकूू से मुक्त करायें।

जन-जन के मन में हम,

मिलकर ये अलख जगायें। 

धूम्रपान है खतरनाक,

आओ सबको हम ये बतायें। 

देते हो क्यूँ मौत को न्यौता,

सुख-चैन भी तो है खोता।

तुम खाते हो तम्बाकू को,

या तम्बाकू है तुम को खाता।

सिगरेट का यह धुआँ भी,

खुशी तुम्हारी पी जाता।

धूम्रपान है बहुत बुरी चीज,

कैंसर जैसे भयंकर रोग दे जाता।

फिर भी बने बैठे नादान तुम,

तुम्हे ना क्यूँ ये समझ में आता?

फिर तोड़ते क्यूँ नहीं हो इससे नाता?

पकड़ बीड़ी-सिगरेट हाथ में,

मार रहे हो घूँट,

पर कर लो थोड़ा विचार भी,

तुम उसको या वह तुमको रही फूँक।

पढ़े-लिखे हो या निरक्षर,

सब बने बैठे हैं नादान।

नरक में धकेल रहे अपना जीवन, 

धरा का भी कर रहे नुकसान।

अडिग रहकर अब हमें छेड़ना है राग,

सोये हुए समाज को जगाना है आज।

कितने बेटे छीने इस नशे ने,

न जाने कितने उजाड़े सुहाग।

आओ मिलकर लें मनचाहा यह प्रण,

अलख हम एक ऐसी जगायेंगे,

नशा मुक्त होगा सबका जीवन,

एक दिन ऐसा भी पायेंगे। 


रचयिता 

ब्रजेश सिंह,

सहायक  अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय बीठना, 

विकास खण्ड-लोधा,

जनपद-अलीगढ़।

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