श्रमिक दिवस
श्रमिक दिवस को मानिए, कर्मशील अभिमान।
उसके श्रम से ही बना, देखो देश महान।।
सभी यहाँ पर हैं श्रमिक, प्रभु का यही विधान।
उसका हो सम्मान सदा, लिखते सभी बखान।।
धूप छाँव सब सह रहा, नेह रहे आधार।
काम हमारा कर रहा, मिलता नहीं आहार।।
श्रमिक हमारे देश का, काम करे दिन रैन।
चाहें हमसे प्रेम वो, बरसें फिर क्यों नैन।।
सारे जग में ये श्रमिक, रखता एक जज्बात।
जीवन जीने के लिए, करता श्रम दिन रात।।
सुनो श्रमिक मेरा कथन, करना काम सुजान।
बन समाज का मान तू, रचना एक विधान।।
सूर्य उदित तब जागता, करता रहता काम।
दिनभर कर्तव्य वो करे, तब पाता है नाम।।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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