विश्व परिवार दिवस

परिवार की महत्ता से हम नहीं अनजान,

यही दिलाता है हमें एक पहचान।

जीवन बगिया परिवार से ही खिलती,

इसके बिना सब कुछ लगता है वीरान।।


वर्तमान परिदृश्य में घटी है इसकी शान,

क्यों कम किया हमने इसका मान।

पग- पग ठोकरों ने जब भी गिराया,

परिवार ने बढ़कर दी हौसलों की उड़ान।।


याद दिलाने को इस परिवार की महत्ता,

15 मई को एक दिन चुना फिर इकट्ठा।

प्रश्न यह है कि एक दिन का ही क्यों विधान है,

क्या प्रतिदिन नहीं बढ़ा सकते इसकी महत्ता।।


बुनियादी जरूरतों को पूरा करें परिवार,

नागरिकता की पहली पाठशाला परिवार।

नैतिक मूल्यों को विकसित करने में योगदान,

आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है परिवार।।


परिवार और शहरीकरण इस वर्ष की है थीम,

संयुक्त राष्ट्र महासभा महसूस करे ये थीम।

1993 में इसकी महत्ता की घोषणा हुई,

सर्वप्रथम समझें हम परिवार के संस्कार की धूम।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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