विश्व कछुआ दिवस
प्यारा-प्यारा लगता कछुआ,
न्यारा-न्यारा लगता कछुआ।
धीरे-धीरे चलता कछुआ,
फिर भी आगे रहता कछुआ।
जल, थल दोनों में रहता कछुआ,
उभयचर कहलाता कछुआ।
पानी में गोता खाता कछुआ,
सबका मन हर्षाता कछुआ।।
कठोर कवच में ढका है कछुआ,
किसी को हानि ना पहुँचाए कछुआ।
आओ इसकी जान बचाएँ,
कहीं विलुप्त ना हो जाए कछुआ।।
रचयिता
कमलेश प्रसाद वर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रिकेबीपुर,
विकास खण्ड-रामपुर,
जनपद-जौनपुर।
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