विश्व तंबाकू निषेध दिवस
जाने कौन सा गम सता रहा है,
तंबाकू मुँह में रखकर चबा रहा है।
शिकार हो गया इंसान नशे की लत में,
औरों को भी इस चंगुल में फँसा रहा है।
पहले-पहले खुद के पैसों के दम से,
मजेदार मीठा जहर चखा रहा है।
शरम नहीं आती मतलबी सितारों को,
गुटके का प्रचार करके दिखा रहा है।
बिगड़ जाते हालात इसकी तड़पन में,
बेवकूफ इंसान आदत लगा रहा है।
पढ़े-लिखे इंसान इसकी गिरफ्त में,
चेतावनी पढ़कर नहीं सीख रहा है।
मुँह का कैंसर, जाने अनजाने रोग,
देह को इधर से उधर भगा रहा है।
रचयिता
ऋषि दीक्षित,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भटियार,
विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,
जनपद- एटा।
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