माँ

है  एक ही  गोद

जिसमें  बसती है  दुनिया 

मिलता है सुकून  सच्चा 

वही तो है प्यारी  माँ  की गोद। 


नहीं गीलेपन का एहसास 

नहीं धूप का एहसास 

है हर मोड़ पर  साथ

वही तो है प्यारा माँ का साथ। 


जिसके नाम से हो प्यार सार्थक 

जिसके चरणों में है जन्नत 

जिसकी सूरत है  प्रभु की मूरत 

वही तो है प्यारी माँ की सीरत।


सोच में सिर्फ अपना ही अक्स 

करती पूरी हर ख्वाहिश 

वही तो है एकमात्र माँ 

सदैव  पूजनीय है  माँ।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।



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