माँ का क़र्जदार
माँ की ममता होती पावन,
पावन ही माँ का प्यार है।
दीप जगत में झूठे नाते,
माँ सा न कोई हितकार है।
माँ चैन सुकूं माँ खुशी भी तू,
माँ से ही जगत संसार है।
माँ से जीवन पाता मानव,
माँ ही तेरा करतार है।
माँ दवा भी तू, माँ दुआ भी तू,
माँ करुणा का दरबार है।
माँ कष्टों को हर लेती,
माँ खुशियों का आधार है।
माँ लाड़ दुलार माँ फूलों का हार,
माँ खुशुबू सा बागवान है।
माँ बरगद की शीतल छाया
माँ सुकून भरा एक गाँव है।
माँ ईश्वर है, माँ मन्दिर है,
माँ वेदों का सार है।
माँ की करना सेवा सदा ही,
"दीप" माँ की तू कर्जदार है।
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,
शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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