माँ
तू ही जमीं तू ही आसमां
तेरे बिन जीवन, तेरे बिन मैं कहाँ।
तू ममता की सांझ सुनहरी
तू तरुवर की छाँव घनेरी।
तेरे ही आँचल में मिलती
सुख की छैयां नींद घनेरी।
बिन बोले हर बात समझती
तू मायके की याद अकेली।
तू ही मन्नत तू ही दुआ है
तू धरती पर ईश अलबेली।
प्रीत की डोरी, नेह का धागा
तू है सबकी सखी सहेली।
तेरे ही कदमों में जन्नत
घर का आँगन तू महकाये।
धर्म सिखाये, कर्म सिखाये
जीवन का हर मर्म सिखाये।
प्रथम गुरु तू प्रथम है शिक्षा
तू जीवन संगीत सिखाये।
बचपन में हम सब की खातिर
तू आँचल को ढाल बनाये।
तू है प्रेम की निर्मल नदिया
स्नेह सुधा पल-पल बरसाए
यादों की गुल्लक में भरकर
खुशियों की चिल्हर छनकाये।
माँ से हर दिन, माँ का हर दिन
साँसों की लय ताल सुनाए।
रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।
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