शिक्षा और श्रमिक

सारे जग में बन श्रमिक, रखता निज जज्बात।

रोटी पाने के लिए, करता श्रम दिन रात।।


स्वेद बहाता नीर सम, करता नव निर्माण।

धूप-छाँव देखे नहीं, करता जग परित्राण।।


शिक्षित होता जो श्रमिक, रचता सुंदर काज।

सारा समाज गर्व से, करता उस पर नाज।।


सुनो श्रमिक पावन वचन, बालक भेजो स्कूल।

ध्यान रखो शिक्षा बिना, उगते अतिशय शूल।।


शिक्षा अनुपम ज्योति है, मेटे उर की धूल।

शिक्षित संतति को करो, भेजो नित निज स्कूल।।


शिक्षा श्रम मिलता जहाँ, होता उचित विकास।

सुंदर शोभित जग बने, बढ़ता अति विश्वास।।


कहे ओम शिक्षा बने, जीवन शुभ आधार।

अर्थ लक्ष्य सब कुछ मिले, हर्षित हो परिवार।।


रचयिता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय उदयापुर, 
विकास खण्ड-भीतरगाँव,
जनपद-कानपुर नगर।


Comments

Total Pageviews