महामानव बुद्ध
कर्मकाण्ड के अन्धकार में,
डूब रहा था जग सारा।
उत्तर वैदिक में बढ़ी कुरीतियाँ,
अर्थ का अनर्थ कर डाला।।
पुनर्जागरण के बन पुरोधा,
बुद्ध धरा पर तब आये।
करी चोट बुराइयों पर,
मध्यम मार्ग वह बतलाये।।
जन्म हुआ वैशाख मास,
तिथि पूर्णिमा पावन महान।
संयोग बना सबका इस दिन,
ज्ञान प्राप्ति, महापरिनिर्वाण।।
कर्म ध्यान प्रज्ञा अपनाओ,
दुख से फिर तुम मुक्ति पाओ।
कह गये महात्मा बुद्ध महान,
धम्म का रखना होगा ध्यान।।
कर्मकाण्ड नहीं कोई धम्म,
धम्म तो जीवन करें पवित्र।
ज्ञान के द्वार खोल दे,
फैले धम्म जो बनकर इत्र।।
करुणा, शील और मैत्री,
समाज का भेद मिटाते हैं।
जन्म से महत्वपूर्ण है कर्म,
गौतम बुद्ध समझाते हैं।।
सम्यक ज्ञान दृष्टि अपनाकर,
संकल्प सत्य, अहिंसा का लो।
सीमित कर बुराइयों को,
अच्छाई जहां में फैला दो।।
वर्तमान पटल में है छाया,
फिर हिंसा युद्ध का दौर।
अपनाकर बुद्ध दर्शन को,
बनाएँ भारत को सिरमौर।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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