महाराणा प्रताप
तर्ज़-तुझे सूरज कहूँ या चंदा।
मेवाड़ वंश के शासक,
महाराणा प्रताप थे प्यारे।
इतिहास गवाही देता,
गुण छिपे थे इनमें सारे।।
नौ मई पन्द्रह सौ चालीस,
राजा उदय सिंह के घर में।
राणा प्रताप जब जन्मे,
खुशियाँ छायीं अंबर में।।
वीर, पराक्रमी योद्धा संग,
अद्भुत राणा के नजारे।
इतिहास गवाही देता,
गुण छिपे थे इनमें सारे।।
जब-जब तलवार उठाई,
दुश्मन की नींव हिलाई।
चेतक पर चढ़कर जिसने,
अकबर को धूल चटाई।।
इस मातृभूमि की खातिर,
मुगलों से कभी ना हारे।
इतिहास गवाही देता,
गुण छिपे थे इनमें सारे।।
संघर्ष भरे जीवन से,
ये कभी नहीं घबराये।
जंगल को घर बनाया,
और घास की रोटी खाये।।
हल्दीघाटी के युद्ध में,
बड़े-बड़े से योद्धा पछाड़े।
इतिहास गवाही देता,
गुण छिपे थे इनमें सारे।।
भारत माँ ने बलशाली,
अपने इस लाल को खोया।
संसार का एक-एक प्राणी,
तब फफक-फफक कर रोया।।
है शत-शत नमन हमारा,
कदमों में राणा तुम्हारे।
इतिहास गवाही देता,
गुण छिपे थे इनमें सारे।।
रचयिता
मन्जू शर्मा,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय नगला जगराम,
विकास खण्ड-सादाबाद,
जनपद-हाथरस।
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