माँ को नमन

मेरी माँ है सबसे न्यारी।

जैसे हो वो राज दुलारी।।

हम सबको करती प्यार।

न दे सकता यह संसार।।

मेरा दुःख उसका दुःख होता।

मेरा सुख उसका सुख होता।।

माँ घर की कश्ती होती है।

पतवार पिता है होता।।

माँ की जगह न ईश्वर लेता।

तभी वो सबको माँ ही देता।।

माँ की दुआ, दवा से ज्यादा है।

माँ के आँसू संतान की मुस्कान होते।।

माँ तो ईश्वर भी पूजते।

माँ के चरणों मे जन्नत ढूँढते।।

माँ तेरा कर्ज न चुका सके कोई।

हर दिन माँ का दिवस मनाए कोई।।


रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।

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